किसान मुक्ति यात्रा का आ लालकुआं पहुंचने पर अखिल भारतीय किसान महासभा के कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया

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लालकुआं।देवभूमि खबर। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा संचालित किसान मुक्ति यात्रा का आज लालकुआं पहुंचने पर अखिल भारतीय किसान महासभा के कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। यात्रा का यह चौथा चरण दो अक्टूबर को चम्पारण (बिहार) से शुरू हुआ जो 11 अक्टूबर को अमरोहा में समाप्त होगा।
इस मौके पर शहीद स्मारक बिन्दुखत्ता में एक जन सभा का भी आयोजन किया गया। सभा को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय कमेटी सदस्य एवं अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम सिंह गहलावत, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अफरोज आलम, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने संबोधित किया।
सभा को संबोधित करते हुए प्रेम सिंह गहलावत ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने देश के किसानों के साथ धोखा किया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों से संपूर्ण कर्ज माफी और फसलों की लागत में 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वायदा किया था, पर सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार अपने वायदे से मुकर गई है। उन्होंने कहा जब मध्य प्रदेश के किसानों ने मोदी से वायदा निभाने की मांग पर आंदोलन किया तो मंदसौर के हमारे छह किसानों की पुलिस ने हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि मंदसौर कांड के बाद आज देश के 181 किसान संगठन कर्ज मुक्ति और उपज की लागत के ड्यौढे दाम की मांग पर एक मंच पर आ गए हैं । हम 20 नवम्बर को पूरे देश की यात्रा कर लाखों किसानों के साथ दिल्ली में मोदी सरकार से हिसाब मांगेंगे।
उन्होंने कहा कि देश के किसान को कर्ज माफी नहीं कर्ज मुक्ति चाहिए। उन्होंने कहा कि देश का किसान फिर से कर्ज में न डूबे इसलिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार किसानों की उपज की लागत में 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़ कर किसान को उपज का दाम मिलना चाहिए।
पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने कहा कि सरकार की खेती किसानी को चौपट करने वाली कॉरपोरेट परस्त नीतियों ने देश के किसान को तबाह किया है। उन्होंने कहा जब किसान के हाथ में फसल होती है उसका दाम गिरा दिया जाता है, पर जैसे ही वह उपज व्यापारी और पूंजीपति के पास चली जाती है उसका दाम आसमान छूने लगता है। कामरेड शर्मा ने आवारा पशुओं और जंगली जानवरों के आतंक से खेती छोड़ पलायन को मजबूर पहाड़ के किसानों के सवाल को उठाया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र सरकार ने दुग्ध उत्पादक गरीब किसान महिलाओं का पिछली सरकार के कार्यकाल का बकाया 23 करोड़ रुपया भुगतान करने से मना कर दिया है, जबकि विपक्ष में होते हुए दुग्ध उत्पादकों को प्रोत्साहन राशि देने की बड़ी बड़ी बात भाजपा कर रही थी। सभा के बाद किसानों ने शहर में जुलूस भी निकाला और तहसीलदार के माध्यम से 10 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम प्रेषित किया और चेतावनी दी कि दो माह के भीतर किसानों की समस्याओं का समाधान न होने पर आंदोलन तेज किया जाएगा। इस दौरान विमला रौथाण, राजेन्द्र शाह, नैन सिंह कोरंगा, गोविन्द जीना, भाष्कर कापड़ी, पुष्कर दुबडिया, बसंती बिष्ट, पान सिंह कोरंगा, भुवन जोशी, पान सिंह दानू, बिशनदत्त जोशी, कुंवर सिंह चौहान, मोहन थापा, मदन धामी समेत कई लोग मौजूद थे।

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