नई दिल्ली। सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन ने गुरुवार को बताया कि नोटबंदी के बाद कथित गड़बड़ियां करने के आरोप में कुछ निजी बैंकों और भारतीय रिजर्व बैंक समेत करीब 460 बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने भ्रष्टाचार की ऐसी सभी शिकायतों पर कार्रवाई की और आवश्यक कदम उठाए। भसीन ने कहा, ‘पहली बार निजी क्षेत्र के बैंकों और रिजर्व बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।’
वह कुछ बैंक अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों पर केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे। शिकायतों में आरोप लगाया गया था कि बैंक अधिकारियों ने रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लंघन कर 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बदलने में गड़बड़ियां कीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष आठ नवंबर को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी। सरकार ने उन नोटों को निर्धारित समय में बैंकों में जमा कराने या बदलने का मौका दिया था। सीबीआई ने भी नोटबंदी लागू होने के बाद भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप में बैंक अधिकारियों के खिलाफ 30 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं।
सीवीसी ने गुरुवार को बताया कि सीबीआई भ्रष्टाचार के कुल 850 मामलों की जांच कर रही है। इनमें से 14 मामले पांच साल से भी ज्यादा पुराने हैं। जबकि 500 मामले एक साल से भी कम पुराने, 245 मामले एक से दो साल तक पुराने, 61 मामले दो से तीन साल पुराने और 31 मामले तीन से पांच साल पुराने हैं। आयोग के मुताबिक, इसी तरह भ्रष्टाचार के 6,358 मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। इनमें से 178 मामले 20 साल से भी ज्यादा पुराने हैं।
सीवीसी ने बताया कि इस साल जनवरी से सितंबर के बीच उसे सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की कुल 20,943 शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इनमें से 17,420 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है। सिर्फ 96 शिकायतों को ही मुख्य सतर्कता अधिकारियों के पास जांच के लिए भेजा गया है।
आयोग के मुताबिक, 2016 में उसे इस तरह की 51,207; 2015 में 32,149; 2014 में 64,410 और 2013 में 35,332 शिकायतें प्राप्त हुई थीं।