विकासनगर। ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड एनवायरमेंट के अध्यक्ष भास्कर चुग ने आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सरकार से मांग की क़ि सरकार वृक्षों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए।
उन्होंने कहा कि विकास नगर और आसपास के क्षेत्रों में पिछले थोड़े से समय में ही अनेक स्थानों पर संरक्षित प्रजाति के सैकड़ों वृक्ष काट दिए गए हैं और अब इन स्थानों पर प्लाटिंग हो रही है।भास्कर चुग ने कहा कि उद्यान विभाग और वन विभाग पेड़ों की रक्षा कर के पर्यावरण बचाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं लेकिन यह विभाग भी अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से नहीं निभाते सिर्फ खानापूर्ति करते हैं।उद्यान विभाग पेड़ों के कटने की दिशा में स्वयं तो कोई एक्शन लेता नहीं है, यदि इस विभाग को कोई शिकायत की जाती है तब यह विभाग जुर्माना वसूलने और मुकदमा दर्ज करने की कार्यवाही कर देता है और पेड़ काटने पर दर्ज होने वाले मुकदमों का क्या होता है दुनिया जानती है।दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पेड़ काटने पर ₹5000 का प्रति वृक्ष का जुर्माना ले लिया जाता है, जो बहुत कम है और इस जुर्माने को देने में भूमाफिया को कोई परेशानी भी नहीं है क्योंकि यह जुर्माना देने के बाद भूमाफिया उस स्थान पर जहां कभी बाद था पेड़ काटने के बाद जुर्माना भरने के बाद प्लाटिंग करने लग जाता है और मोटा धन कमाता है पर्यावरण की किसी को कोई चिंता नहीं होती।
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी है कि इस तरह के स्थानों पर प्लाटिंग ना हो लेकिन यह विभाग भी अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह से नहीं निभाता।प्रश्न यह भी उठता है कि जब इन सैकड़ों पेड़ों का जुर्माना उद्यान विभाग वसूल लेता है तब उस दशा में उन पेड़ों की लकड़ी आखिर कहां जाती है क्योंकि अवैध रूप से कटान की दशा में वन विभाग जब निकासी नहीं देता तो लकड़ी तो मिलनी चाहिए, बिना निकासी मिले लकड़ी कहां गायब हो जाती है यह बहुत बड़ा प्रश्न है।
सरकार को चाहिए कि वन संरक्षण अधिनियम को मजबूत बनाए और पेड़ काटने पर किया जाने वाला जुर्माना ₹5000 प्रति वृक्ष को कम से कम 20 गुना बढ़ाया जाए और प्रति वृक्ष जुर्माना ₹100000 किया जाए। साथ ही एमडीडीए को भी जिन स्थानों पर वृक्षों का अवैध कटान हुआ है उन स्थानों पर की जाने वाली प्लाटिंग को तुरंत ध्वस्त करने के आदेश जारी किए जाएं ।