देहरादून। देवभूमि खबर।उत्तराखंड में अघोषित रूप से दो दलीय व्यवस्था चल रही है। राज्य में कभी कांग्रेस सत्ता में रही है, तो कभी बीजेपी। यूपी के विपरीत यहां चुनावी हलचलें भी कम ही नजर आ रही हैं लेकिन अब दोनों प्रमुख दल इस समय चुनावी मोड में आ चुके हैं। चुनाव प्रचार और चुनावी रणनीति लेकर भाजपा-कांग्रेस चुनावी समर में कूद चुके हैं। चुनावों की घोषणा से पहले ही चुनावी शोर सुनाई देने लगा है।
कांग्रेस ने लोकतंत्र के सबसे बड़े इम्तहान के लिए अपनी पुख्ता तैयारी करनी शुरू कर दी है। चुनावी समितियों की बैठक की जा चुकी है। पांचों लोकसभा सीटों के प्रभारी अपनी-अपनी लोकसभा सीटों के दौरे पर है और योग्य उम्मीदवार की तलाश तेजी से की जा रही है।
देखा गया है कि उम्मीदवारों की घोषणा कांग्रेस अंतिम समय पर करती है लेकिन इस बार वह इस मामले में तेजी दिखा रही है। इसके अलावा सरकार की नीतियों के विरोध में कांग्रेस परिवर्तन यात्रा भी निकाल चुकी है।
भाजपा तो खुला ऐलान कर रही है कि वह चुनावी मोड में आ चुकी है। 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए उसने आस्तीनें चढ़ा ली हैं। केंद्रीय नेता कई दौर की बैठक कर चुके हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री भी आचार संहिता से पहले उत्तराखण्ड में पार्टी का आधार मजबूत करने के लिए दौरे कर रहे है। पार्टी ने चुनावी प्रचार की रूप रेखा भी पूरी तरह से तैयार कर ली है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू कहते हैं कि हाल ही में विजय संकल्प रैली के जरिये उन्होंने चुनावी प्रचार को भी तेज किया है। आचार संहिता का औपचारिक घोषणा का इंतजार किया जा रहा है लेकिन प्रदेश के दोनों दल चुनावों के ऐलान से पहले ही चुनावी रणनीति के साथ चुनावी समर में कूद चुके हैं।