देहरादून । इस लोकतंत्र के महापर्व पर आप सभी साथियों के माध्यम से उत्तराखंड की जन जन तक अपनी बात रख रहा हूं, लंबे समय के बाद आप सभी से मुलाकात हो रही है, आशा है आप सभी स्वास्थ और तंदुरुस्त होंगे। आज आप और हम उत्तराखंड क्रांति दल के थीम सॉन्ग के विमोचन के अवसर पर यहां पर उपस्थित हुए है। इन सबसे पहले मैं उत्तराखंड की मौजूदा स्तिथि पर अपने कुछ विचार रखना चाहता हूं। इसी हफ्ते चुनाव है, और हमारे 45 प्रत्याशी मैदान में है। कोशिश थी 70 पर लडने की, मगर कोई बात नही, महंगे चुनाव को देखते हुए, कुछ साथी नही लड़े। आज आप सभी के माध्यम से मैं जनता को बताना चाहता हूं की ये दिल्ली और नागपुर के रिमोट से चलने वाले दल, उत्तराखंड का भला नहीं कर सकते।
फिर चाहे आप हमारे मित्र धामी को ले लीजिए या हमारे बड़े भाई हरदा को लीजिए। एक भाई मोदी मोदी करके वोट मांगता है, और दूसरा उत्तराखंडियत का ढोंग पीटता है। भूकानून, मूलभूत सुविधा, फ्री बिजली पानी का वादा जो आज दोनो कर रहे है, मैं पूछना चाहता हूं, भाई आप 22 सालो से कर क्या रहे हो? आप दोनों को 2 साल अंतरिम गवर्मेंट बीजेपी की रही उसके बाद तो जनता ने 10 बीजेपी और10 साल कांग्रेस की निर्वाचित सरकार बनी। क्या किया आपने ? खनन, भ्रष्टाचार? अब आप हमसे पूछेंगे कि भई समर्थन क्यों दिया? मैं आज आपको फिर से बताना चाहता हूं की राज्य बनने के बाद उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, इन इन परिस्थितियों के चलते राज्य पर अतिरिक्त बोझ चुनाव का ना पड़े हमने वह कदम उठाया, लेकिन हमने जो 9 बिंदुओं पर समर्थन दिया था (शर्ते रखी), भले ही हम छले गए, कोई बात नही। मैं पूछना चाहता हूं इन लोगो से जो कहते है की हमने सत्ता की मलाई खाई, भाई मलाई हमने खाई, एक बारी को मान लिया जाय, लेकिन जो मलाई खाई वो आजतक नजर नहीं आई। हमारे नेता तो आज भी छोटी छोटी गाड़ियों में घूमते है। सस्ते होटलों में रहते है, और जनता से चंदे की आस रखते है, ताकि हम इस लोकतंत्र को बचा सकें सीमित संसाधनों में हमारे प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, धनबल से हम इनसे नहीं लड़ सकते। उत्तराखंड राज्य की जनता के सहयोग से राज्य बचा सके इसके लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं और इस राज्य को बचा सके।
अमित शाह जी आए, बड़े बड़े पोस्टर लगे थे, कार्यक्रम मेरे घर के बगल में ही था, स्वस्थ सही नही था, वरना सोच रहा था जाकर सवाल पूछूं, जितने बड़े बड़े वादे, और आंकड़े वह बताकर गए है, क्या वो सच में पूरा कर पाएंगे। कहते फिरते है अटल जी ने बनाया, हम सवारेंगे। अटल जी से हम भी मिले थे। पहली मुलाकात बागेश्वर में सन 1980 में हुई थी। वैचारिक मतभेद थे उस समय भी लेकिन हम युवा थे, और वो थोड़े उमर में बड़े। उनका कहना था, उत्तराखंड बनाने के पक्ष में मैं तो नही हूं। करोगे क्या बनाकर, खाओगे क्या? आज वह जीवित होते तो हम बताते, सब तो आपके नेता खा गए। बचा ही क्या। भाजपा के पास ढंग के नेता नही है, संगठन तो है, हम मानते है, लेकिन नेता नही है। कांग्रेस उत्तराखंडियत बचाने की बात करती है, उनके तिवारी जी का अलग बयान था की भईया ये उत्तराखंड तो मेरी लाश पर बनेगा, और हरदा की नौटंकी के चर्चे तो विख्यात है बागेश्वर अल्मोड़ा में, सन 1989 में काशी दा के साथ चुनाव के। अब आप स्वयं विचार कीजिए की कैसे ये राज्य बचेगा। आपको मेरी बातो पर यकीन नही है तो अखबार में ही खबरे छपी थी, ढूंढने की कोशिश करिए, पुरानी कटिंग्स मिल जायेंगी। वरना हम से ले लीजिएगा। एक भाई आजकल दिल्ली से आया है, उत्तराखंड सवारने। दिल्ली में बेड़ा गर्ग कर दिया। फर्जी वीडियो तो कोई भी बना देगा, आप भी और हम भी। तनख्वा देने तक के पैसे नही है आज दिल्ली सरकार के पास। न कोई विजन है, ना कोई मिशन। देवभूमि में विकास की बात करते है, दिल्ली में हर मोहल्ले में शराब की दुकान खोली है। आप खुद ही सोचिए यह उत्तराखंड का क्या करेगा।
आज हम आपसे पलायन रोकने की बात करते है, बेरोजगारी काम करने की बात करते है, हम आपसे शिक्षा और स्वास्थ की बात करते है, क्या इन राष्ट्रीय दलों के बड़े बड़े नेताओ में हिम्मत है काशी दा जैसे व्यक्ति या हमारे दल के अन्य किसी भी नेता या कार्यकर्ता के साथ इन विषयों पर चर्चा करे। नही ये तो आयेंगे और हमारी भोली भाली जनता को छलेंगे। हमने राज्य का आंदोलन 1979 से 2000 तक करा था, जनता को याद होगा कितनी शहादते हुई, क्रेडिट गेम बना दिया है सबने। हमे आपको बताने की जरूरत नही है की आंदोलन में क्या हुआ था। आप सभी साक्षी है। बहकावे में मत आइए। आज मैं आपके माध्यम से परिसीमन पर भी थोड़ा जनता का ध्यान केंद…
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