ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार व कोरोना से सुरक्षा को आवश्यक कदम उठाने की अपील

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देहरादून। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार प्रदान करने व कोरोना से सुरक्षा व रोकथाम हेतु कदम उठाने को मुख्यमंत्री से आग्रह किया है।
उपाध्याय ने कहा कि मैं लॉकडाउन के पहले दिन से ही गणतन्त्र की मूल इकाई ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों से रूबरू हूँ, उन्होंने अत्यन्त सूझ-बूझ और समझदारी का परिचय दिया है।पर्वतीय क्षेत्र के बहुत ही कम गाँव होंगे, जहां प्रवासी उत्तराखंडी अपने गाँव वापस न आये हों।
पंचायतों ने बखूबी उनको स्वीकार भी किया और शारीरिक दूरी को भी बनाये रखा।अब पंचायतों पर दोहरी जिम्मेदारी और बोझ आ गया है।लॉक डाउन के कारण सब काम धंधे बंद हैं।कल प्रधानमन्त्री जी ने उन्हें सम्बोधित किया, उससे घोर निराशा हुई है।पंचायतें आशा में थीं कि प्रधानमंत्री जी उनकी सुध लेंगे और मनरेगा में कार्य दिवसों, मजदूरी और कार्यक्षेत्र का विस्तार कर खेती-किसानी को उसमें जोड़ेंगे, पंचायत के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, अब उनकी सबसे बड़ी चिंता स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर है।आप स्वास्थ्य विभाग के मंत्री भी हैं, विभाग के महत्व के कारण ही आपने उसे अपने पास रक्ख़ा होगा।
उन्होंने कहा कि एक पूर्व मुख्यमंत्री तो संजीवनी बूटी खोज लाये थे, आपको याद होगा, आप उस समय मंत्रिमंडल के सम्मानित सदस्य थे। कोरोना महामारी में स्थानीय स्वास्थ्य विधायें, जड़ी-बूटियाँ चमत्कार कर सकती हैं, मेरा सुझाव है, उन विद्वानों की सहायता लीजिये। मैंने कुछ विद्वानों से बात की है, आप चाहेंगे, तो मैं उनसे आपका सम्पर्क करवा दूँगा, उसमें आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी विधाओं के उद्भट विद्वान हैं।
राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र में निष्णात लोगों की कमी नहीं है।निजी चिकित्सक भी इस समय लॉक डाउन हैं। अभी कुछ समय पूर्व स्वास्थ्य क्षेत्र के हजारों प्रशिक्षित कई महीने परेड ग्राउंड में धरने पर रहे, उन सबकी सेवायें लेनी चाहिये, तब चाहे वो चिकित्सक हों, वैद्य हों, फार्मसिस्ट हों, नर्स हों, मेडिकल व पारा-मेडिकल क्षेत्र से जुड़े हों। सरकार के पास तो एएनएम से लेकर श्री राज्यपाल तक पूरा तन्त्र है।
उन्होंने कहा कि कल स्वास्थ्य निदेशालय में कार्यरत एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निदेशालय में ही सेनिटाईजर की मशीन ख़ाली है और मास्क भी नहीं हैं। जब निदेशालय का यह हाल है? तो बाकी का स्वयं अंदाजा लगाये। निगम के स्वच्छकारों आदि के पास न तो मास्क हैं और नहीं सुरक्षा के अन्य साधन।
उन्होंने कहा कि मेरा विनम्र सुझाव है कि हर ग्राम पंचायत में एक प्रशिक्षित मेडिको व एक सहायक कीव्यवस्था करिये।खेती-किसानी को मनरेगा से आच्छादित करिये। मनरेगा की मजदूरी बढ़ाइये। सुरक्षा के उपकरण उपलब्ध कराईये। नहीं तो,सारी मेहनत और करी-कमाई पर पानी न फिर जाय। पीएम केयर फण्ड से अपना हिस्सा माँगिये, उसे व मुख्यमंत्री राहत कोष में आये पैसे को इन कामों में लगाईये।

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