गंगा आर्थिक,समा‌जिक एवं ‌धार्मिक दृष्टि से भारतीयों के लिए अहम है:प्रोफेसर जोशी

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‌‌रिपोर्ट ललित जोशी।
नैनीताल ।कुमाऊँ विश्वविद्यालय,नैनीताल के शोध ,एवम प्रसार ,निदेशालय ,राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ, कुमाऊँ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) ने गंगा दशहरा पर्व पर डाॅ.वाई.पी.एस.पांगती फाॅउन्डेशन , एस . एम.डी.सी. नैनीताल ,इग्नु डी.एस.बी. परिसर , नैनीताल द्वारा गंगा रिजूविनेशन अवर हेरिटैज ’’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन निदेशक शोध एवं प्रसार निदेशालय प्रो.ललित तिवारी द्वारा किया गया उन्होने कार्यक्रम की रूपरेखा रखतें हुए गंगा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गंगा नदी आस्था,उम्मीद, संस्कृति एवं शुद्धता की प्रेरणा है जिससे करोडो लोगों को आजिविका मिलती है,गंगा भारतीय संस्कृति की गौरव है जो विश्व में हमारी अलग पहचान बनाती है।गंगा नदी भारत की सबसे बड़ी नदी है जो 2525किमी लंबी है तथा पांच राज्यों से होती हुई निकलती है तथा 861540 वर्ग किमी भूमि को अपने जल से प्रफुल्लित करती है।

कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल प्रो.एन.के. जोशी ने किया, उन्होने गंगा दशहरा की बधाई देतें हुए सभी अतिथियों तथा ऑर्गनाइजिंग कमेटी का स्वागत एवं अभिनन्दन किया किया। प्रो. जोशी ने गंगा दशहरा तथा गंगा के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि ‌‌गंगा आर्थिक, समा‌जिक एवं ‌धार्मिक दृष्टि से भारतीयों के लिए अहम है, 43%जनसंख्या इससे सीधे प्रभावित होती है ,औद्योगिक कचरे ने इसे प्रदूषित किया है।सरकार इसे प्रदूषण मुक्त करने की लिए प्रयासरत है, सन 1985में स्वच्छ गंगा अभियान शुरू किया गया तथा 2014 स्वच्छ गंगा हेतु अनुदान दिया गया,2019में गंगा काउंसिल बनाई गई जो इन अभियानों को मॉनिटरिंग करती है,गंगा की अविरल धारा को स्वच्छ बनाए रखना हर भारतीय की जिम्मेदारी है।
प्रो.गोपाल सिंह रावत, एफ.एन.ए.ए. पूर्व निदेशक ने कहा कि गंगा में मिलने वाली सभी नदियों को स्वच्छ एवम संरक्षित करना होगा साथ ही हिमालय को भी संरक्षित करने में युवा वैज्ञानिकों को आगे आना होगा, क्योंकि जल ही जीवन है इसके बिना तो जीवन संभव नहीं है।

प्रो. एन.के.दुबे एफ. एन. ए., एफ.एन.ए.एस. बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय वाराणासी द्वारा अपने व्याख्यान में गंगा की वैज्ञानिकता,धार्मिकता तथा सरकारी प्रयासों पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि गंगा को पृथ्वी पर लाने का श्रेय भागीरथ एवम शिव भगवान को दिया जाता है।उन्होंने कहा कि गंगा का उद्गम स्थल उत्तराखंड है इसलिए यहा के लोग भाग्यशाली हैं, पांचों प्रयाग यह है, प्र का अर्थ है बड़ा तथा भाग पवित्र है।देवप्रयाग में भागीरथी एवम अलकनंदा गंगा नदी को बनाती है। दशहरा कष्टों का निवारण करता है तो गंगा विश्व विरासत है।अमृतमंथन में हरिद्वार में अमृत गिरा इसलिए यहा कुंभ का आयोजन होता है।गंगा की पारिस्थितिकी महत्वपूर्ण है तथा इसका बैक्टीरिया महवूर्ण है।ब्रिटिश काल में भी अंग्रेज गंगा के जल को इंग्लैंड ले जाते थे ,इसका गंधक महत्वपूर्ण है।गंगा जल से भी गंगा बेसिन की जमीन उपजाऊ है, भारत की कृषि आर्थिकी को मजबूत करता है, गंगा जल में ऑक्सीजन की मात्रा भीं अधिक होती है।संसुप्त संहिता , रामायण भीं तुलसी दास जी द्वारा गंगा किनारे ही लिखी गई थी। वर्ष 2008में गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया ,परंतु गंगा नदी विश्व की पांचवी प्रदूषित नदी में से एक है।इसमें सीवरेज डिस्पोजल तथा औद्योगिक कचरा 204एम. एल. डी.एवम 300एम. एल. डी.तक है।गंगा एक्शन प्लान,अविरल धारा,निर्मल गंगा अभियान शुरू किया गया है,जिसके अंतर्गत इसकी सफाई तथा इसके पारस्तिथिक तंत्र को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रो.रूचि बडौला , प्रोजक्ट निदेशक रिजूविनेशन एंड क्यूा लाइफ मोनेटिरिगं डब्लू. आई.आई. देहरादून द्वारा प्रेजेंटेशन के माध्यम से बायोडाइवर्सिटी एंड गंगा रिजूविनशन विषय पर प्रकाश डाला, उन्होने कहा गंगा में 5 प्रजातियां स्तनधारी,177 प्रजातियां चिड़ियों की,27 प्रजातियां रेपेटाईल,378प्रजाति मछली ,3 प्रजातियां उदबिल्लाव,3डॉल्फिन ,9कठोर कवच कछुवा ,4 मुलायम कवच कछुवा,मिलते हैं, गंगा को स्वच्छ करने में वैज्ञानिक अध्ययन के साथ साथ सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा।उन्होंने कहा गंगा की बात,एक कदम स्वच्छता की ओर, गंगा सजग प्रहरी इत्यादि अभियान गंगा के संरक्षण के लिए शुरू किए गए। सीवरेज ,औद्योगिक कचरे के लिए दंड का प्रावधान किया गया तथा विभिन्न कार्यक्रम का आरंभ किया गया जिससे गंगा की धारा को अविरल तथा शुद्ध रखा जा सके।किंतु सभी लोगों को अपने आसपास के नालों को स्वच्छ रखना होगा ,पेड़ पौधे लगाने होंगे ।कार्यक्रम में प्रतिभागियों द्वारा विषय विशेषज्ञों से गंगा से संबंधित विभिन्न प्रश्न भी किए जिसका,उनके द्वारा उत्तर दिया गया। कार्यक्रम के अंत में डॉ.विजय कुमार समन्वयक,राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ कुमाऊँ विश्विद्यालय नैनीताल द्वारा सभी अतिथियों ,प्राध्यापकों,शोधार्थियों,प्रतिभागियों तथा आयोजन समिति का धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम में डॉ.गिरीश रंजन तिवारी, डॉ.हितेश पंत, डॉ. डी. के.जोशी, डॉ.लज्जा भट्ट, डॉ.नीलू लोधियाल, डॉ.ललित मोहन, डॉ.विवेक लोहिया, डॉ.हरीश मंडोला,डाॅ.भावना कर्नाटक ,डाॅ.आशा रानी ,डाॅ. गीता तिवारी , डाॅ. कृष्ण कुमार टम्टा, डाॅ, मैत्री नारायण,
, डाॅ. मनोज कुमार, डाॅ.नन्दन सिंह मेहरा, डॉ . शशिबाला उनियाल , डाॅ.सुनील कुमार सिंह, डाॅ.सुनीता उपाध्याय ,डाॅ-.सुरेश पाण्ड , डाॅ.वैद्यनाथ झा,डाॅ. विशाल कुमार , डाॅ.भारत पाण्डे डाॅ- जगमोहन सिंह ,डाॅ.पैनी जो शी,डाॅ. श्रृति साह ,डाॅ-सुषमा टम्टा ,डाॅ . ऊषा जोशी,दिशा उप्रेती,वसुंधरा लोधियाल के साथ लगभग 98 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम की आयोजन समिति में प्रो.ललित तिवारी, डाॅ.आशीष तिवारी, डाॅ. विजय कुमार , डाॅ. नन्दन मेंहरा , डाॅ. नवीन पांडे तथा दीक्षा बोहरा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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