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प्रकाश जावड़ेकर ने एनएफएआई में पुनः स्थापित जयकर बंगले का उद्घाटन किया

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नई दिल्ली।पीआईबी।सूचना और प्रसारण एवं पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया (एनएफएआई) में पुनः स्थापित पुणे के एक प्रतिष्ठित विरासत संरचना जयकर बंगले का उद्घाटन किया। इस बंगले में एक डिजिटल फिल्म पुस्तकालय होगी जहां फिल्म शोधकर्ता पुरालेख के समृद्ध फिल्म डेटाबेस की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। यहां एनएफएआई संग्रह से फिल्म देखने के लिए व्यक्तिगत स्थान भी उपलब्ध होगा। मंत्री ने इस अवसर पर एक विशेष पुस्तिका ‘परम्परा: एन ओड टू जयकर बंगला’ का विमोचन भी किया, जो बंगले के इतिहास के साथ-साथ इसके जीर्णोद्धार की कहानी का क्रमवार वर्णन करती है। इस पुस्तिका की एक खास विशेषता शबाना आजमी और रेहाना सुल्तान सहित कुछ प्रसिद्ध फिल्म कलाकारों द्वारा साझा किए गए अनुभव हैं, जो एफटीआईआई गर्ल्स हॉस्टल के हिस्से के रूप में जयकर बंगले में रुके थे। मंत्री ने एनएफएआई में फिल्में देखने के लिए स्लॉट की बुकिंग के लिए एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया।

मंत्री ने कहा कि जयकर बंगले का पुणे की कला और वास्तुकला में एक विशेष स्थान है और इसके जीर्णोद्धार के बाद इसे फिल्म अनुसंधानकर्ताओं के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। उन्होंने बैरिस्टर एम.आर. जयकर की पड़पोती सुश्री प्रसन्ना गोखले को सम्मानित भी किया जो विशेष रूप से इस अवसर पर उपस्थित थीं। मंत्री ने इस भवन के जीर्णोद्धार के लिए किये गये प्रयासों के लिए सीसीडब्ल्यू एवं संरक्षण टीम के साथ-साथ एनएफएआई टीम की भी सराहना की।

प्रथम श्रेणी की धरोहर संरचना वाले इस बंगले का निर्माण एक विख्यात राष्ट्रीय नेता, संविधान-सभा के सदस्य और पुणे विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति बैरिस्टर एम.आर. जयकर द्वारा 1940 के दशक में किया गया था। पिछले कई वर्षो के दौरान इस बंगले का स्वामित्व इंडियन लॉ सोसाइटी से एफटीआईआई और फिर एनएफएआई तक बदलता रहा। 1973 के बाद से एनएफएआई ने इसके परिसर से अपना कार्य संचालन किया।

इस बंगले का निर्माण वस्तुकला की टुडोर शैली में की गई थी जो अधिकतर ग्रेट ब्रिटेन में पाई जाती है और पुणे में अपनी तरह की अनोखी शैली है। उत्कृष्ट रूप से डिज़ाइन किए गए बंगले में लकड़ी का फर्श, एक संकीर्ण लकड़ी की सीढ़ी, ब्रिटिश वास्तुकला की विशिष्ट और बड़े पैमाने पर किताबों की अलमारी हैं जो लगभग छत तक फैली हुई हैं। दो मंजिला बंगला एक भार उठाने वाली प्रणाली में बनाया गया है जिसमें चूने के खरल के साथ स्टोन एश्लर्स चिनाई, साफ आंतरिक सज्जा, सेरेमिक टाइलो एवं लकड़ी की छत का  उपयोग किया गया है।

कई वर्षों तक बंगले के ज्यादातर हिस्सों का उपयोग नहीं किया गया क्योंकि 1990 के दशक में आर्काइव की मुख्य गतिविधियों को इसके वर्तमान भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसलिए यह महसूस किया गया था कि इसे व्यापक रूप से बदलने के लिए इसका जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए। इसके जीर्णोद्धार के सबसे महत्वपूर्ण नियम को पूरी परियोजना में लागू किया गया कि जो अधिकतम रक्षित सामग्री का उपयोग करना है। पहले चरण में, बाद के सभी संयोजनों और फेरबदल को सावधानीपूर्वक हटा दिया गया था जिससे कि संरचना का अस्तित्व कई वर्षों के बाद बना रह सके। संरचना की विरासत की स्थिति को बनाए रखते हुए, वर्तमान समय और भविष्य के उपयोगों को देखते हुए नई तकनीक पेश की गई। बंगले का फिर से जीर्णोद्धार किया गया है और इसे सबसे संभव मौलिक रूप और अनुकूली पुन: उपयोग में रखा गया है।

एनएफएआई के निदेशक प्रकाश मगदुम ने कहा “हम अद्वितीय वास्तुकला और सौंदर्य मूल्य को बहाल करना चाहते थे जिससे कि पुराने समय के गौरव को वापस लाया जा सके। इसका उद्देश्य विरासत की संरचना का संरक्षण करना और इसे समकालीन बनाना था ताकि यह नागरिकों और फिल्म प्रेमियों के लिए सुलभ हो सके। डिजिटल लाइब्रेरी और देखने के व्यक्तिगत स्थान की सुविधा इस दिशा में  उठाये गये कदम हैं। हम चाहते हैं कि यह स्थान सांस्कृतिक गतिविधियों का एक केंद्र बने, जहाँ फिल्म प्रेमी सार्थक  चर्चाओं से जुड़ सकें।”

 

देवभूमि खबर

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