अल्मोड़ा।बिन्सर वन्य जीव अभ्यारण मे बसे गांव – कटधारा, गौनाप, रिसाल, दलाड सातरी अब लगभग घोस्ट विलेजेज की श्रेणी मे आने वाले हैं। जहाँ एक ओर अब शहर मे रहने के लिए जगह नही मिल रही, किराये मे कमरे नही मिल रहे वही ये छोटे गांव अपने अस्तित्व की तलाश मे हैं।
गौनाप व कटधारा जो आज से 20-25 साल पहले एक आबाद, फलते फूलते व स्वावलंभी गांव थे जो अपने क्षेत्र मे होने वाले साग सब्जी व फलों के लिए प्रसिद्धथे ।आज अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ रहे हैं और यही हाल अभ्यारण मे बसे अन्य गाँवो का भी है।सातरी गाँव जो पहले एक अच्छी आबादी वाला गाँव हुआ करता था आज वहाँ मात्र 4 लोग रहते हैं।
इन गांवों मे जहां एक ओर बुनियादी सुविधाओं की तंगी है वही दूसरी ओर खेतो मे हो रहे उत्पादन को जंगली जानवर पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं। एक किसान पूरी साल मेहनत करता है और जब फसल काटने का समय आता है तो सुवर और अन्य जंगली जानवर फसल को पूरी तरह से नष्ट कर जाते हैं।
इन असुविधावो से जो परिवार यहाँ से पलायन करने के सामर्थ्य मे थे वे तो छोटी मोटी नौकरी की तलाश मे बाहर चले गए पर जो यहाँ रह रहे वे लोग बेबसी और लाचारी का जीवन जीने को मजबूर हैं।
जहाँ गौनाप मे पहले जनसँख्या 70-80 थी अब वहाँ पर 20-25 लोग रहते हैं कटधारा मे 160-170 थीं अब 25-30, दलाड मे पहले 200-220 अब 60-70, सातरी मे पहले 25-30 लोग रहते गए अब 4 लोग रहते है। रिसाल मे पहले 60-70 लोग रहते थे अब 15-20 लोग रहते है।
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