देहरादून ।पहाड़ का मंडुवा जंगली जानवरों के आतंक
उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं व गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्रों में की खेती की जाती है।मडवे की खेती ठंडे क्षेत्र के पहाड़ों में ज्यादा होती है।।उत्तराखंड राज्य के मंडुवे कई देशों में मांग है।मडुवा दो प्रकार का होता है एक भादों और एक औसज के महीने में होता है। मडुवे की रोटी स्वादिष्ट के साथ पौष्टिक व खनिज पोषण व सर्दियों के मौसम में ठंडे क्षेत्र के लोगों के लिए मडुवे की रोटी सेवन करना अति उत्तम है। मडुवा की रोटी में गर्मी की पावर है। नवम्बर से फरवरी तक मडुवे की रोटी लाभदायक होती है।।
प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता ने बताया मडुवा बेबी फुड व अन्य दवाओं के काम आता है।।सर्दियों में महिलाओं का प्रसव के बाद महिलाओं को मडुवे के आटे का दलिया बना कर खिलाया जाता है।इस मडुवा का दलिया से महिला व शिशु को गर्मी पावर व इनंरजी मिलती है। इसलिए उत्तराखंड राज्य के ठंडे क्षेत्रों में रहने वाले लोग महिलाओं का प्रसव के बाद मडुवा का दलिया खिलाते हैं।
प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता ने बताया उतराखड राज्य का पलायन व जंगली सुंअर,सौल व बंदरों के आतंक के कारण उत्तराखंड राज्य के लोगों ने मडुवा की खेती कम कर दी।मडुवा की खेती के लिए जंगली सुंअर व सौल व बंदर खतरनाक साबित है। मडुवा के बाल को नष्ट कर देते हैं।
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