देहरादून। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने लॉकडाउन के कारण मजदूर वर्ग (संगठित/असंगठित/मनरेगा) में व्याप्त असंतोष की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुये कहा है कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा उठाये कदम नाकाफी हैं और समाज का यह सबसे महत्वपूर्ण, लेकिन वाणी विहीन कमजोर वर्ग भूखमरी की कगार पर है। सरकार ने यदि राहत मानकों में सुधार नहीं किया तो भुखमरी की स्थिति पैदा हो जायेगी और यदि भूख से एक भी मौत हुई तो राज्य पर बहुत बड़ा कलंक होगा। अभी एक मौत की अपुष्ट सूचना है।
उपाध्याय ने कहा कि इस वर्ग के बीच कार्य कर रहे साथियों से गहन विचार-विमर्श के बाद वे निम्न सुझाव दे रहे हैं जिसमें लाकडाउन की वजह से अधिकांश गरीब लोग कमा नहीं पा रहे हैं। अगर १४ध्४ को लाकडाउन हट भी जाता है, तब भी बहुत से लोग तुरंत कमा नहीं पाएंगे। लॉकडाउन का दस दिन हो गया।लोगों की बचत और घर में रखा हुआ राशन खत्तम हो रहा है। इस दौर में लोग खाना कैसे ले पाएंगे? केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने राहत पैकेज दिया हैं। इस कदम को हम स्वागत करते हैं। लेकिन दोनों पैकेज बहुत नाकाफी हैं। राज्य सरकार ने कुछ पंजीकृत निर्माण मजदूरों को 1००० रुपये देने का आश्वासन दिया है। जो कि दो दिन की दिहाड़ी भी नहीं है। केंद्र सरकार ने राशन कार्ड धारकों को ५ किलो एक्स्ट्रा चावल या आटा देने का आश्वासन दिया है। यह सकारात्मक कदम है, लेकिन इंसान के शरीर के लिए मिनिमम पोषण सिर्फ आटा या चावल से नहीं मिल सकता है। एक परिवार के लिए एक महीने के लिये सिर्फ एक किलो दाल दो जा रही है। सब्जियां, दूध, तेल आदि अन्य सामग्री नहीं दी जा रही। सरकार कह रही है , जो जरूरतमंद है, उनको राशन दिया जा रहा है, लेकिन इस प्रक्रिया में बहुत समस्याएं हैं। प्रशासन को वेरीफाई करना पड़ रहा है कि कोई जरूरतमंद है या नहीं? इसमें भरपूर अनियमिततायें व राजनीति हो रही है। देहरादून अधोईवाला बस्ती में पुलिस ने लोगों के रसोई में घुस कर जांच की कि उनके पास कितना राशन है। इसमें प्रशासन और पुलिस की गलती नहीं है। लेकिन इसकी वजह से प्रशासन का समय बहुत नष्ट हो रहा है और लोगों को भी राशन मिलने में बहुत समय लग रहा है। यह समस्या बढ़न ेवाली है, प्रशासन कितने लोगों का सत्यापन कर राशन पहुँचा पायेगा। सरकार को चाहिये कि हर इलाके में ख़ास तौर पर शहरों में आंगनवाड़ियों, सरकारी स्कूलों में खाने के पैकेट दिन में दो बार मुफ्त बाँटे। जिसको जरूरत हो,ले जाये। लाइन लगा कर खाना दिया जाए। खाना बनाने के लिए मजदूरों को रखा जा सकता है जिससे उनको भी रोजगार मिलेगा। जो विकलांग या बीमार है, नहीं आ सकते हैं, उनके लिए घर तक राशन पहुंचवाया जाये। इससे प्रशासन का समय बच जायेगा, संसाधन भी नष्ट नहीं होंगे और राज्य में भुखमरी की स्थिति नहीं बनेगी।
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