रिपोर्ट । ललित जोशी।
नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास किराया बाजार दर से वसूलने के 2019 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी गई थी ।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरएलईके को नोटिस जारी कर जबाव देने को कहा था ।
आर एल ई के, ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पारित किराया वसूली आदेश का बचाव करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष जवाबी हलफनामा दायर किया है।
पूर्व मुख्यमंत्रियों ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है ।
जिसमें दावा किया गया है कि बाजार दर पर किराया वसूली अनुचित है और बाजार दर की गणना करते समय उनकी बात नहीं सुनी गयी ।
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को भी चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि बाजार किराए की वसूली की कोई आवश्यकता नहीं है।
इसके अलावा, उच्च न्यायालय का पहला आदेश राज्य सरकार द्वारा बाजार किराए की वसूली के लिए वर्ष 2017 में पारित किया गया था, ।
जिसे सभी उत्तरदाताओं की उपस्थिति में पारित किया गया था। जिसे उनके द्वारा कभी चुनौती नहीं दी गई । आर एल ई ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए रुख का भी विरोध किया है।
संस्था ने काउंटर हलफनामे में दलील दी है कि अवैध कब्जे के मामले में, बाजार का किराया केवल एक उचित किराया हो सकता है ।
केवल मामूली सरकारी किराया लेना सार्वजनिक लागत पर निजी व्यक्तियों के अन्यायपूर्ण कब्जे के बराबर होगा।
मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष 25 फरवरी, 2022 को होने की उम्मीद है।
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