देहरादून।दून विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के द्वारा विश्व योग दिवस पर आयोजित वेबीनार में योग प्रशिक्षण डॉ रविंद्र जाँगरा और प्रदीप योगी जोकि वर्तमान में क्रमशः यूक्रेन और मोल्दोवा (यूरोप) में योग और आयुर्वेद के शिक्षण का कार्य करते हैं, मुख्य प्रशिक्षक के तौर पर सम्मिलित हुए उन्होंने आयुष मंत्रालय के द्वारा दिए गए योग प्रोटोकोल के अलावा योग से संबंधित सावधानियों और लाभ के बारे में विस्तृत चर्चा की एवं योग की सहायता से विभिन्न शारीरिक व्याधियों से कैसे मुक्ति पाएं उस पर योग का प्रतिभागियों को अभ्यास कराया। डॉ रविंद्र जाँगरा ने कहा कि हमारी ऑफिस में काम करने की जीवन शैली के कारण हम अपने शरीर के अंगो का समुचित उपयोग नहीं करते हैं और परिणाम स्वरूप हमारे शरीर के अंगों की क्षमता धीरे धीरे कम होने लगती है और शरीर का लचीलापन भी खत्म हो जाता है। इतना सब होने पर भी हम योगाभ्यास न करके केवल दवाइयों के सहारे अपनी जिंदगी काटना शुरू कर देते हैं। उन्होंने आवाहन किया कि हमें विश्व योग दिवस के अवसर पर हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम प्रतिदिन योग का अभ्यास करेंगे।
दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल ने योग की महत्ता को बताते हुए कहा कि योग हमारी भारतीय परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है जिसे अब संपूर्ण विश्व अपना रहा है और इस पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ शोध हो रहे हैं और इन शोधों के परिणाम बहुत ही सकारात्मक हैं।उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के समय में लोग अपने घरों में कैद हो गए थे और शारीरिक क्रियाकलापों में कमी आ गई थी जिसके कारण उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था।लोगों में जन जागरूकता आई जिसके फलस्वरूप लोगों का योगाभ्यास के प्रति रुझान बढ़ा और लोगों ने घर पर ही स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए योगिक दिनचर्या को अपनाया।उन्होंने बताया कि योग एक ऐसा विषय है जो मन और शरीर दोनों पर समान रूप से प्रभाव डालता है और व्यक्ति को नकारात्मकता से मुक्त करता है।शारीरिक अभ्यास योगिक क्रियाओं का एक हिस्सा मात्र है और योगी क्रियाओं का महत्व शारीरिक गतिविधियों से परे आध्यात्मिक रूप से मानसिक समृद्धि को भी प्राप्त करना है।जो व्यक्ति अपने मन और शरीर पर नियंत्रण स्थापित करता है वह किसी भी व्यक्ति के साथ सामंजस्य स्थापित कर पाता है। प्रोफेसर डंगवाल ने इस बात पर जोर दिया की दून यूनिवर्सिटी में जो भी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं उनका उद्देश्य छात्रों के साथ साथ आम जनमानस को भी लाभान्वित करने का होता है। उन्होंने कहा कि आज की डिजिटल और वर्चुअल दुनिया में योग मन को संयमित करने के लिए एक बेहतर साधन हो सकता है।
इस अवसर पर प्रोफेसर कुसुम अरुणाचलम, कुलसचिव डॉ मंगल सिंह मन्दर्वाल, उप कुलसचिव श्री नरेंद्र लाल, डॉ सविता तिवारी, डॉ अरुण कुमार, डॉ राजेश भट्ट, डॉ नरेश मिश्रा, कार्यक्रम के संयोजक प्रो हर्ष डोभाल सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो एच सी पुरोहित ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन ने किया।