स्वतंत्रता के आंदोलन में नकारात्मक भूमिका होने का जो अपराध बोध (गिल्ट) है भाजपा और आरएसएस उसे छुपाना चाहती है :राकेश राणा

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देहरादून।स्वतंत्रता के आंदोलन में नकारात्मक भूमिका होने का जो अपराध बोध (गिल्ट) है भाजपा और आर एस एस उसे छुपाना चाहती हैआर एस एस और आज की भाजपा का देशभक्ति के नाम पर जो हर घर तिरंगा कार्यक्रम है वह असल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना हैजिला कांग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष राकेश राणा ने कहा कि असल मे आर एस एस ओर भाजपा का तिरंगे के पीछे की जो मूल भावना है वह असल में अपने गुनाहों को छुपाना चाहती है

सर्वविदित है की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तिरंगे को अपशगुन मानता था यह सारा देश जानता है 1929 में अखिल भारतीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में यह तय किया गया कि 26 जनवरी 1930 को देशभर के लोग अपने अपने घरों में तिरंगा लहराएंगे ठीक उसके विपरीत तत्कालीन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने एक पत्र देशभर के संघ के कार्यकर्ताओं को लिखा जिसमें उन्होंने कहा की सब अपने-अपने घरों तिरंगा न लहरा कर भगवा लहराए। पिंगली वेंकैया द्वारा निर्मित अशोक चक्र लगाकर तिरंगे को संविधान सभा की मंजूरी के बाद 14 अगस्त 1947 को लाल किले पर तिरंगा फहराने की तैयारी चल रही थी की तभी 1 दिन पहले 13 अगस्त 1947 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में राष्ट्रीय स्वयंसेवकों को संदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति अपने घर में तिरंगा ना फैलाएं सब अपने अपने घरों में भगवा फैरायें ?
तभी रेशमी बाग नागपुर संघ मुख्यालय में गुरु पूर्णिमा का पर्व हुआ जिसमें सरसंघचालक द्वारा तिरंगे को भारतीय संस्कृति के विपरीत बताया गया और कहा कि तिरंगे में तीन रंग है जोकि अपशगुन का प्रतीक है जिससे भारतीय संस्कृति और प्रगति को खतरा बताया इसके बाद बिगत 52 वर्षों तक रेशमी बाग नागपुर जो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय है मैं कभी तिरंगा नहीं फहराया गया । सर्वविदित है कि वर्ष 2001 में 3 नौजवानों के द्वारा वहां तिरंगा फहराए जाने को लेकर कोशिश की और उन पर मुकदमे चले आज आर एस एस और भाजपा यह जो तिरंगे के प्रति प्रतीकात्मक रवैया अपना रही है वह सिर्फ इसलिए कि स्वतंत्रता के आंदोलन में स्वयं की कोई भूमिका न होने की वजह से जो उनके मन में अपराध बोध है उस पाप को किसी तरह धोया जाए असल में इसका मुख्य उद्देश्य यह है

अभी कुछ दिन पूर्व कर्नाटक सरकार में मंत्री के एस सिसोरपा ने कहा कि 1 दिन आएगा जब लाल किले पर भगवा फहराया जाएगा पुनः जनवरी 2022 में उन्होंने कहा कि हो सकता है यह कार्य जल्दी भी हो । क्या भाजपा के किसी भी वरिष्ठ नेता ने उनके इन बयानों की निंदा की यहां तक की देश के गृहमंत्री, प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री ने भी इस बयान पर चुप्पी साधे रखी अभी हाल में ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी जी यूरोप यात्रा में गए वहां कुछ अति उत्साही लोगों ने देश के प्रधानमंत्री का स्वागत भगवे कलर के झंडे से किया और देश के प्रधानमंत्री के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से उस 30 सेकंड के वीडियो क्लिप को जारी किया गया देश के लाखों लोगों ने उसका खूब विरोध किया और कहा कि यह राष्ट्रीय ध्वज नहीं है उसके बाद भी देश के प्रधानमंत्री के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से वह वीडियो क्लिप नहीं हटाई गई अभी हाल में ही देशभक्त के नाम पर संपूर्ण देशवासियों से चाइना के द्वारा निर्मित पॉलिस्टर का झंडा पूरे देश में बांटा जा रहा है और उसे करोड़ों अरबों रुपए एकत्रित किया जा रहा है। जबकि देश की आजादी के बाद 75 वर्षों तक हिंदुस्तान के कोने कोने में आजादी के नायक राष्ट्रपिता महात्मा जी गांधी जी द्वारा खादी वस्त्रों की बिक्री एवं उस व्यवसाय को करने वाले लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए हमेशा खादी द्वारा निर्मित तिरंगे को ही फहराया गया

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