देहरादून । मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद पीड़ित राज्यान्दोलनकारी मंच ने रविवार के दिन भी अपने उपवास का कार्यक्रम जारी रखा। उनका कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री द्वारा उनसे किये वादे को पूरा नहीं किया जाता, वह लोग यहां से जाने वाले नहीं हैं। रविवार होने के बावजूद भी उन्होंने आज भी अपने धरने को जारी रखा।
मंच के संयोजक क्रांति कुकरेती ने बताया कि पिछले 9 सालों से लगातार इस मुद्दे पर कई मुख्यमंत्रीयों, मंत्रियों, नौकरशाहों से वार्ता कर चुकें हैं। वह यह तो मानते हैं कि उनके साथ गलत हुआ है मगर “हल” करने के मामले में हाथ खड़े कर लेते हैं।इन्हीं सब बातों के बाद ही उन्होंने व उनके साथियों ने इस अतिवादी कदम को उठाने की घोषणा की।
उनका कहना है कि उच्च न्यायालय के दिसम्बर 2018 के आदेश के बाद जिसमें उसने राज्यान्दोलनकारी कोटे से नौकरी कर 1444 लोगों की भर्तीयों को 2004 से ही असैवधानिंक करार दे दिया है तो फिर सरकार किस बात का इंतजार कर रही है। चुनाव की अधिसूचना कभी भी जारी हो सकती है ऐसे में अधिसूचना जारी होने के बाद यदि कोर्ट ने अपना “हथौड़ा” चलाया तो उसके “प्रहार” से हमारे लोग कैसे बचेंगे ? इसलिए इस बार वह अपनी मां को बोल कर आएं हैं कि इस बार बिना सेवा नियमावली बनवाये वह घर नहीं लौटेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सोमवार को मुख्यमंत्री उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रित करेंगे,जिसमें कि सभी सेवारत राज्यान्दोलनकारीयों के हितों की रक्षा हो सकेगी।
आज धरने में बैठने वाले लोगों में ललित कुकरेती, सरोजिनी थपलियाल, मनौती कुकरेती, सत्येंद्र नौगांई, प्रभात डड्रियाल, विनोद असवाल, अंबुज शर्मा व वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुदेश सिंह ‘मंत्री,चंद्र किरण राणा, कमल सिंह गुसाईं आदि’ शामिल रहे।