
देहरादून।उत्तराखंड के 38वें राष्ट्रीय खेलों में फिक्सिंग का बड़ा मामला सामने आया है, जिसे लेकर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेलों में भ्रष्टाचार और फिक्सिंग खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
ताइक्वांडो में मेडल बेचे जाने का बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें गोल्ड मेडल ₹3 लाख, सिल्वर मेडल ₹2 लाख और ब्रॉन्ज मेडल ₹1 लाख में बेचा जा रहा था। इस मामले में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) ने सख्त कार्रवाई करते हुए ताइक्वांडो के डायरेक्टर ऑफ कंपटीशन (DOC) प्रवीण कुमार को पद से हटा दिया और उनकी जगह दिनेश कुमार को नियुक्त किया।
दसौनी ने कहा कि खिलाड़ी कड़ी मेहनत कर राष्ट्रीय खेलों तक पहुंचते हैं, लेकिन इस तरह की फिक्सिंग से उनकी मेहनत और खेलों की अखंडता पर गहरा असर पड़ता है। उन्होंने आरोप लगाया कि IOA की गेम टेक्निकल कंडक्ट कमेटी (GTCC) की जांच में सामने आया कि कुछ अधिकारी पहले से ही मेडल के नतीजे तय कर चुके थे।
दसौनी ने बताया कि ताइक्वांडो प्रतियोगिता हल्द्वानी में आयोजित हो रही है, लेकिन शुरू होने से पहले ही नतीजे फिक्स किए जा चुके थे। जांच में पाया गया कि 16 भार वर्गों में से 10 के विजेताओं को पहले ही तय कर लिया गया था।
भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने इस घोटाले पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय खेलों में किसी भी तरह की धांधली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा,
“हम खिलाड़ियों के लिए निष्पक्षता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह बेहद चौंकाने वाला और दुखद है कि राष्ट्रीय खेलों के मेडल्स की सौदेबाजी पहले ही हो चुकी थी। जो भी इसमें दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
गरिमा दसौनी ने सवाल उठाया कि क्या उत्तराखंड की खेल मंत्री रेखा आर्य अभी भी डिनायल मोड में रहेंगी? उन्होंने आरोप लगाया कि खेल मंत्री ने पहले भी खिलाड़ियों की अव्यवस्थाओं को नकारा था, लेकिन अब इतने बड़े घोटाले पर भी क्या वह यही कहेंगी कि राष्ट्रीय खेलों की व्यवस्था चाक-चौबंद है और कोई भ्रष्टाचार नहीं हो रहा?
गरिमा ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों को देश के सबसे बड़े खेल आयोजन के रूप में देखा जाता है, जहां से कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुने जाते हैं। लेकिन इस तरह की फिक्सिंग और भ्रष्टाचार भारतीय खेलों की साख पर बट्टा लगाते हैं और खिलाड़ियों का मनोबल तोड़ते हैं।
इस घोटाले के सामने आने के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या सिर्फ ताइक्वांडो ही नहीं, बल्कि अन्य खेलों में भी ऐसी धांधलियां हो रही हैं? गरिमा दसौनी ने कहा कि राज्य सरकार को इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए, ताकि खेलों की निष्पक्षता बनी रहे और खिलाड़ियों का भविष्य सुरक्षित रह सके।