जन समस्याओं के समाधान का विकल्प तलाशें बुद्धिजीवी: त्रिवेन्द्र सिंह रावत

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देहरादून: केदारपुरम स्थित धर्मराज विला में आयोजित ‘कर्मयोग एवं गर्वनेंस’ विषय पर बौद्धिक संवाद कार्यक्रम में शिक्षाविद् और बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि बुद्धिजीवियों को जन समस्याओं के समाधान के लिए कारगर उपाय और विकल्प तलाशने चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि समाज के हर वर्ग के बीच लगातार संवाद स्थापित हो। सरकार की योजनाएं तभी लाभार्थियों तक पहुँच पाएंगी जब उन्हें इन योजनाओं की जानकारी होगी, और इसके लिए संवाद ही एक प्रभावी माध्यम है।

सांसद ने कहा कि देश आज तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है, और इस गति को बनाए रखने में हर वर्ग की सहभागिता आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि हम एक अनूठी पहल शुरू करें जिसमें अर्धवार्षिक या वार्षिक समय के अंतराल में दो-तीन दिनों के लिए समाज की समस्याओं और समसामयिक विषयों पर बुद्धिजीवी मंथन करें। इस मंथन से प्राप्त अमृत रूपी विकल्पों को जनप्रतिनिधियों के साथ साझा किया जाए ताकि जन समस्याओं का समाधान हो सके।

उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां जनकल्याण के लिए होती हैं और उनका प्रभावी क्रियान्वयन हेतु कर्मयोगियों की आवश्यकता होती है। समाज में ऐसे कर्मयोगियों को तैयार करने की जिम्मेदारी भी शिक्षाविद् और बुद्धिजीवियों की है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर डीसी नैनवाल ने कहा कि कर्मयोग का गर्वनेंस के साथ सकारात्मक संबंध है और रामराज्य की शिक्षा कर्तव्यबोध एवं कर्मयोग का जीवंत उदाहरण है, जिससे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर विनोद प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ दायित्वों का निर्वहन ही कर्मयोग का मूल सिद्धांत है। डॉ. एमएस मंद्रवाल ने कहा कि कर्तव्यपथ पर चलते हुए हमेशा सकारात्मक भाव बनाए रखना चाहिए, क्योंकि चुनौतियां हमें पीछे खींच सकती हैं, लेकिन सकारात्मक दृष्टिकोण हमें सफलता की ओर प्रेरित करता है।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रोफेसर रचना नौटियाल ने कहा कि आज समाज में कई चुनौतियां हैं जिनका समाधान कर्मयोग के माध्यम से संभव है। उन्होंने नारी सशक्तिकरण, महिला सुरक्षा और महिलाओं से जुड़ी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इन समस्याओं का दूरगामी हल निकालना हम सभी का दायित्व है।

अतिथियों का स्वागत और संचालन करते हुए बौद्धिक संवाद कार्यक्रम के आयोजक प्रोफेसर एचसी पुरोहित ने कहा कि जब हम अपने जीवन को जनकल्याण के लिए समर्पित करते हैं, तो कर्मयोग परिलक्षित होता है।

इस अवसर पर प्रोफेसर आरपी मंमगाई, प्रोफेसर एसपी सती, प्रोफेसर यतीश वशिष्ठ, डॉ. दीपक भट्ट, प्रोफेसर एसएस नेगी, डॉ. कविता काला, डॉ. गुंजन पुरोहित, प्रोफेसर हर्षपति डोभाल, डॉ. एमके पुरोहित, डॉ. प्रीत पाल सिंह, डॉ. भवतोष शर्मा, डॉ. शिवमंगल सिंह, डॉ. राजेश भट्ट, डॉ. हर्षवर्धन पंत, डॉ. संजय कुमार पलड़िया, डॉ. मेहरबान सिंह गुंसाई, प्रोफेसर विजय श्रीवास्तव, डॉ. राकेश भट्ट, और श्री दुर्गेश डिमरी उपस्थित थे।

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