
देहरादून।उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा पूर्व घोषित आंदोलन के तहत आज शहीद स्मारक में सशक्त भू-कानून व मूल निवास ज्यादा जरूरी हैं, ना कि UCC विषय पर एक सभा आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया और आक्रोश व्यक्त किया।
आंदोलनकारी महिलाओं ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार महिलाओं के वोट तो लेती है, लेकिन उनकी वर्षों पुरानी मांगों को अनदेखा कर रही है। वे 2018 से सशक्त भू-कानून लागू करने की मांग कर रही हैं, लेकिन सरकार हर बार UCC (समान नागरिक संहिता) को प्राथमिकता देकर भू-कानून की मांग को टालती आ रही है। महिलाओं ने लिव-इन रिलेशनशिप को देवभूमि की संस्कृति के खिलाफ बताया और सरकार पर परंपराओं को नष्ट करने का आरोप लगाया।
राज्य आंदोलनकारी मंच की वरिष्ठ सदस्य सुलोचना भट्ट, विजय लक्ष्मी गुसाईं और महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने सरकार द्वारा UCC लागू करने को महिलाओं का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन का उद्देश्य अपनी भाषा, संस्कृति, जल-जंगल-जमीन को संरक्षित करना था, लेकिन सरकार इसके विपरीत काम कर रही है। युद्धवीर सिंह चौहान और अधिवक्ता अभिनव थापर ने UCC को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44 केंद्र सरकार को पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कहता है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा इसे लागू करना गलत है।
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी और केशव उनियाल ने सवाल उठाया कि UCC को लागू करने से पहले जिन 2 लाख लोगों से सुझाव लिए गए, वे कौन थे और किस प्रदेश से थे? उन्होंने UCC के तहत स्थायी निवासी का 1 साल का प्रावधान उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकारों पर कुठाराघात बताया।
आंदोलनकारी मंच ने घोषणा की कि विधानसभा सत्र से पहले 16 फरवरी को देहरादून के गांधी रोड स्थित दीनदयाल पार्क में विशाल धरना दिया जाएगा, जिसमें UCC के दो प्रमुख बिंदुओं का विरोध किया जाएगा।
प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने सरकार पर दोहरे रवैये का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाती है, तो दूसरी ओर लिव-इन रिलेशनशिप को बढ़ावा देने वाला UCC लागू कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अब तक स्थायी राजधानी और मूल निवास के सवालों के जवाब नहीं दे सकी है, लेकिन अब बच्चों को लिव-इन रिलेशनशिप समझाना पड़ रहा है।
बैठक में सलाहकार केशव उनियाल, जगमोहन सिंह नेगी, युद्धवीर सिंह चौहान, देवेन्द्र नौडियाल (मोनू), रामलाल खंडूड़ी, प्रदीप कुकरेती, प्रेम सिंह रावत, विजय बलूनी, प्रदीप कुकरेती, प्रेम सिंह नेगी, जबर सिंह पावेल, सुरेश नेगी, बलबीर सिंह, प्रांजल नौडियाल, अभिषेक पंत, नेगी, धर्मानंद भट्ट, संतन सिंह रावत, अनूप बिष्ट, शिव सिंह रावत, सुशील विरमानी, नरेश नेगी, मनोज नौटियाल, संजय तिवारी, रघुवीर तोमर, हरि सिंह मेहर, वीरेंद्र सिंह रावत, सुशील चमोली, विनोद असवाल, प्रभात डंडरियाल, विजय बलूनी, सुरेंद्र रावत, राजा राम बुडाकोटी, नारायण सिंह नेगी, सुशील बुड़ाकोटी, क्रांति अभिषेक, संजय बलूनी, निर्मला बिष्ट, सुलोचना भट्ट, राधा तिवारी, पुष्पलता सिलमाणा, तारा पांडे, पुष्पा रावत, नरेंद्र नौटियाल, नारायण सिंह नेगी, प्रताप सिंह रावत, उपेंद्र सेमवाल, मोहन सिंह रावत, अमित सिंह परमार, धर्मेंद्र राणा, राज्य आंदोलनकारी व अधिवक्ता अभिनव थापर एवं उक्रांद नेता व अधिवक्ता दीपक रावत, अरुणा थपलियाल, रामेश्वरी रावत, लक्ष्मी बिष्ट, अनीता रावत, मीरा गुसाईं, सुनीता खंडूड़ी, कल्पना सेमवाल, सुबोधिनी भट्ट, संगीता रावत, जयंती बलूनी, रामेश्वरी नेगी, सरोज कंडवाल, शांति कैतुरा, सुभागा फर्स्वाण, अनीता रावत, गीता नेगी, सुनीता बहुगुणा, एकादशी देवी, पुष्पा बहुगुणा, यशोदा रावत, यशोदा ममगाईं, सरोजनी नौटियाल आदि सदस्य मौजूद रहे।