देहरादून ।राज्य बनने के बाद उत्तराखंड मे शहरीकरण का दर अन्य हिमालयी राज्यों के सापेक्ष सेकड़ों गुणा हुआ हैं।लगातार अभी तक की सरकारें नगर निगम, नगरपालिकाओं तथा नगर पंचायतों का गठन कर या इनकी सीमाओं को बढाकर ग्रामीण संस्कृति को नष्ट कर रही हैं।
लाजमी हैं कि ग्रामीण क्षेत्र को निकायों मे शामिल कर ग्राम समाज कि जमीनों पर भू माफियाओं के कब्जे तथा शहरी भूमि बनाकर बिल्डरों, कारपोरेट के लिए रास्ता बना रही हैं।अभी हाल मे नगर पंचायतों जो नए सर्जित हुए हैं वहा पर बड़ा खेल सरकारी जमीनों का चल रहा है, जिसमें राजस्व विभाग से लेकर सरकार के नुमाइंदे तथा सफेदपोश कब्ज़ा करने मे शामिल हैं, यह खेल उत्तराखंड मे सबसे ज्यादा चल रहा हैं, एक तरफ धामी सरकार अवैध भू कब्जे को लेकर तुर्फ़खा बनी हुई हैं दूसरी तरफ नए निकाय जो अस्तित्व मे आये हैं वहाँ कि भूमि का हस्थानातरण कि प्रक्रिया अधर मे हैं, उसमें भी भू माफियाओं का खेल हो जाने पर सरकार तब चेतेगी।इससे स्पष्ट होता हैं कि वर्तमान सरकार खनन, शराब, शिक्षा तथा भू माफियाओं को संरक्षण दे रही हैं।
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