अनिल बलूनी हो सकते है मुख्यमंत्री का चेहरा

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देहरादून।उत्तराखंड में चल रही राजनीतिक उथल पुथल के बीच मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर चल रही उहापोह की स्थिति समाप्त होती नजर आ रही है।आखिर दो चेहरों पर आ टिकी है।सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री को लेकर चल रहे दावेदारों में अनिल बलूनी का नाम हाइकमान तय कर सकता है।

आपको बता दें कि भाजपा के पिछले कार्यकाल में लगातार चर्चा में रहे अनिल बलूनी ने अपनी कार्यशैली से लोकप्रियता बढ़ाई है।जिसको लेकर केंद्रीय मंत्रियों ने मंचो पर उनकी तारीफ की है।पत्रकारिता से देश की सबसे बड़ी पार्टी के मुख्यमंत्री दावेदार तक का सफर तय करने वाले अनिल बलूनी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और केंद्र के तमाम मंत्रियों का बेहद करीबी बताया जाता है अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद अनिल बलूनी को पार्टी प्रवक्ता और मीडिया प्रकोष्ठ का प्रमुख बनाया गया।

अनिल बलूनी 26 साल की उम्र में सक्रिय चुनावी राजनीति में उतर राजनीति में सक्रिय रहे। वे पहले भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रदेश महामंत्री रहे, राज्य के पहले विधानसभा चुनाव 2002 में कोटद्वार सीट से पर्चा भरा था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2004 में कोटद्वार से उपचुनाव लड़ा वह हार गए थे. निशंक सरकार में वन्यजीव बोर्ड में उपाध्यक्ष, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और फिर राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख बने

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प्राधिकरण ने 10 वर्षों की कम अवधि के अंदर अपनी उपयोगिता और प्रासंगिकता दोनों को सिद्ध किया है:अमित शाह

Spread the love नई दिल्ली।पीआईबी । केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (Land Ports Authority of India)  के  10 वें  स्थापना  दिवस  समारोह  को  मुख्य   अतिथि  के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर श्री अमित शाह ने प्राधिकरण की पत्रिका भूमि पत्तन और सीमा अर्थव्यवस्था का विमोचन और अच्छी सेवाओं के लिए लैंडपोर्ट अथॉरिटी के कर्मचारियों को सम्मानित भी किया । समारोह में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानन्द राय, गृह सचिव, सीमा प्रबंधन सचिव  और  भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। अपने सम्बोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय के सभी उपक्रमों में भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण की आयु सबसे कम है लेकिन 10 साल के छोटे से अंतराल के बावजूद इस प्राधिकरण ने अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बहुत बड़ी यात्रा पूरी की है जो  सच्चे अर्थों में बहुत ही सराहनीय है। उन्होने कहा की अगर हम पूरे देश के भूगोल और इतिहास का बारीकी से अध्ययन करें तो हमें पता चलेगा कि दुनियाभर में भारत एक मात्र ऐसा देश है जो भू-सांस्कृतिक ( Geo Cultural)  देश है। श्री शाह ने कहा कि  दुनियाभर के बहुत सारे देश भू-राजनीतिक ( Geo Political) देश हैं जबकि पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा अकेला देश है जिसे हम विशुद्ध रूप से भू-सांस्कृतिक देश मानते हैं। अनेकविध भाषाओं,  अनेकविध संस्कृति,  खानपान  और  वेषभूषा  में विविधता के बावजूद हम एक समान संस्कृति से जुड़कर एक देश बने हैं। उन्होने कहा की अगर हम इस यात्रा का ध्यान से अध्ययन करते हैं तो इसमें भूमि मार्गों का बहुत बड़ा महत्व है, क्योंकि इन मार्गों के माध्यम से ही पूरे एशिया में कोई ना कोई हमारी भारतीय संस्कृति का ध्वज लेकर गया है और उसे वहां फैलाने का काम किया। श्री अमित शाह ने कहा कि इन भूमि मार्गो ने चीर पुरातन काल से ही समग्र खंड के अंदर भारत को एक प्रकार से व्यापार का आधिपत्य देने का काम किया और इन भूमि मार्गों के माध्यम से ही अनेक देशों के यात्री भारत आए और उन्होने यहां से ज्ञान लेकर दुनिया भर में हमारे ध्वज को फहराया। उन्होने कहा कि आजादी के बाद इन भूमि मार्गों के ऊपर हमारा जितना ध्यान होना चाहिए था उतना नहीं रहा और जब इस पर ध्यान गया तब से प्राधिकरण ने पिछले 10 साल में 75 साल की कमी को पूरा कर एक बहुत बड़ी यात्रा पूरी की है और इसके लिए यह अभिनंदनीय है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्राधिकरण वीजा, व्यापार के बिल और कागजात चेक करता है, कानून का नियमन करता है और व्यापार और आवाजाही का एक कानूनी माध्यम है परंतु अगर ध्यान से देखें तो प्राधिकरण सुरक्षा के साथ समझौता किए बगैर हमारे अर्थतंत्र को गति देने और पड़ोस के देशों में व्यापार बढ़ाने का महत्वपूर्ण काम करता है। साथ ही यह प्राधिकरण संस्कृति के आदान-प्रदान और सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को जिनकी वेशभूषा, बोली और कल्चर समान है उनके बीच संवाद प्रस्थापित कर दो देश के बीच सम्बन्धों को तरो-ताजा और मजबूत बनाने का काम भी कर रहा है और तीसरी दृष्टि से देखें तो दो देशों की जनता के बीच संवाद का माध्यम भी प्राधिकरण है। श्री शाह ने कहा कि प्राधिकरण की यह जिम्मेदारी है कि वह सभी नियमों और क़ानूनों का पालन करते हुए व्यापार की बढ़ोतरी, हजारों सालों से हो रहे सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और तेज, मजबूत और अर्थपूर्ण बनाने तथा जनता के बीच में संवाद के माध्यम से राजनीति और डिप्लोमेसी से उठकर दो देशों के बीच की बॉन्डिंग को मजबूत करने का काम करे। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री कि हमारी 15,000 किलोमीटर की लैंड बाउंड्री है और सुरक्षा की दृष्टि से चौकसी रखने की जरूरत भी है। इन सबके बीच संतुलन बनाए रखते हुए काम करना बहुत कठिन होता है मगर मुझे पूरा भरोसा है कि अगर इसको हम ढंग से करेंगे तो प्राधिकरण के लिए पड़ोसी देशों से व्यापार, संबंध सुधार और संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए बहुत बड़ा पोटेंशियल उपलब्ध है और हमें इस स्प्रीट के साथ काम करना होगा। श्री शाह ने कहा कि को प्राधिकरण ने 10 वर्षों की कम अवधि के अंदर अपनी उपयोगिता और प्रासंगिकता दोनों को सिद्ध किया है। बांग्लादेश के साथ हमारे ट्रेड कोरिडोर बड़ी मजबूती के साथ आकार लेते जाते हैं और जब ट्रेड कोरिडोर प्रस्थापित होते हैं तब व्यापार अपना स्वभाव और प्रवाह बदलता है और यह ट्रेड कॉरिडोर की जिम्मेदारी है कि वह पड़ोसी देश के व्यापार के प्रवाह और स्वभाव दोनों को बदले। श्री शाह ने कहा कि 600 साल के अर्थतंत्र का अध्ययन करें तो कई ऐसे रूट्स मिलेंगे जिन्होंने पूरी दुनिया के साथ व्यापार करने वाले कई देशों के अर्थतंत्र को कॉन्ट्रिब्यूशन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया। हमें इस प्रकार के ट्रेड कोरिडोर के माध्यम से ट्रेड कोरिडोर की परंपरा को भी मजबूत करना पड़ेगा। मगर इसके साथ-साथ सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ प्राधिकरण का संवाद और नियमित बैठकें भी बहुत जरूरी है क्योंकि इसी रास्ते कोई हमारी सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश कर सकता है। इसलिए अलग-अलग बॉर्डर पर तैनात सीएपीएफ और सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ प्राधिकरण का संवाद भी बहुत जरूरी है।  केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों मे जन से जन का जुड़ाव एक बहुत बड़े खतरे को टालने का माध्यम बन सकता है। कोई  भी देश जन भावनाओं  से  परे  जाकर  दूसरे  देश के रिश्तों का आकार नहीं बदल सकता क्योंकि जन भावनाओं में बड़ी ताकत होती है, इसलिए अगर जन से जन का रिश्ता मजबूत करना है तो प्राधिकरण को इसे भी एक अलग दृष्टि से देखना  पड़ेगा । श्री अमित शाह ने कहा कि यह वर्ष हमारी आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है। आजादी  के  75 […]

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