देहरादून। उत्तराखण्ड क्रांति दल ही उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों का विकास कर सकता है।राष्ट्रीय दल विकास के नाम पर पहाड़ के लोगों के साथ छलावा कर रहे हैं।
उक्त बात राजधानी गैरसैंण संयुक्त संघर्ष समिति अध्यक्ष एन एस बिष्ट ने देवभूमिखबर से बात करते हुए कही। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के 21 साल बीतने के बाद भी पहाडों में समस्या जस की तस है।राष्ट्रीय दलों ने विकास के नाम पर पहाड़ के लोगों के साथ छलावा किया है।उन्होंने कहा किउत्तराखण्ड क्रांति दल ही उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों का विकास कर सकता है जिसके लिए कुर्बानियां देना ही लोगों के दिलों में सहानुभूति जगाना महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि कुर्बानी का अर्थ कोई अन्यथा ना समझें उसका यही अर्थ है कि जनता की समस्याओं पर हेलंग क्षेत्र की तरह संघर्ष होते रहे तो अवश्य जनता के मन में सहानुभूति जागेगी। जिसमें क्षेत्रीय व जनहित के मुद्दों तो सही है लेकिन यूकेडी ने जिस राजधानी गैरसैंण का चयन किया था प्रदेश के उस स्थायी राजधानी गैरसैंण के महत्वपूर्ण मुद्दे को भूल गयी है। वह बात अब किसी भी मंच से नहीं उठ रही है उत्तराखण्ड का पहला मसला ही गोते खा रहा हो आगे भी तो ऐसा ही चलता रहेगा लेकिन अभी भी हमारे पास समय है अगर अभी भी हम लोग राजनीति पार्टीयो के चक्कर में अपने पहाड़ की राजधानी के मुद्दे पर पहल नहीं करते व अभी राजधानी गैरसैंण को घोषित नहीं किया जाता तो 22साल तो देख लिये मूलभूत सुविधाएं भी दिनों दिन छिन रही है।
श्री बिष्ट ने कहा कि दोनों दलों ने हमसे स्वास्थ्य , शिक्षा छीनी साथ ही रोजगार , जल जमीन , मूलनिवास का अधिकार भी छीना ।अब 2026 मे परिसीमन के बाद बस पहाड़ों में पहाड़ ही मात्र रह जायेंगे पहाड़ी नहीं क्यूँकि 60/65% तो पलायन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पहले ही हो चुका है तो अब क्षेत्र और बड़ा हो जायेगा और विकास सिकुड़ जायेगा तो लोग कैसे रहेंगे अभी तक लोग यहां मसाण पूजने को भी आ रहे हैं तो अब जब यहां लोग ही नहीं रहेंगे तो मसाण बेचारा भी यहां क्या करेगा और फिर यहां लोग भी किस लिए आयेंगे।उन्होंने पहाड़ में रहने वाले लोगों से अपील की कि साथियों भूकानून के साथ राजधानी गैरसैंण पहाड़ियों की आत्मा है उसके साथ खिलवाड़ मत होने दो अभी राजधानी गैरसैंण के 40 आन्दोलनकारियों पर 2018 से मुकदमा चल रहा है लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी ने किसी मंच इस बात रखने की हिम्मत नहीं रखी जबकि मुकदमे के साथ राजधानी गैरसैंण के लिए आन्दोलन भी गतिमान है इसलिए एक बार सभी उत्तराखण्डियों को एकजुट होने की आवश्यकता है ।तभी राज्य को बचाया जा सकता है।