अल्मोड़ा ।जनपद के भैसियाछाना विकास खंड के गांव रीम कनारीछीना के रहने वाले धरम सिंह नेगी ने अपनी मातृभूमि की रीति रिवाज को मध्य नजर रखते हुए लोककला में अपनी एक अलग ही छवि बनाई है।।धरम सिंह नेगी एक ग़रीब परिवार से है ।उनका बचपन से लोकनृत्य व लोककला के प्रति रुझान था।शरीरिक रूप से कमजोर नेगी उत्तराखंड में शादी ब्याह में मांगलिक सांस्कृतिक कार्यक्रम व नवरात्रि में अन्य सौकुन के गीतों के माध्यम से लोककला को जीवित रखे हुए हैं।
धरम सिंह नेगी के बड़े भाई प्रताप सिंह नेगी का कहना है धरम सिंह नेगी जैसे लोकप्रिय व अपनी मातृभूमि की रीति रिवाज के लिए लोकगीत बनाने वाले लोककलाकार को उत्तराखंड सांस्कृतिक मंच में प्रोग्राम के लिए कोई अवसर नहीं मिला। ऐसे ही आर्थिक स्थिति व शारीरिक स्थिति से कमजोर लोग और भी उत्तराखंड में बहुत है जो अपनी लोकला से अपना दिनचर्या चला रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह नेगी ने उत्तराखंड सांस्कृतिक मंच व शासन प्रशासन से गुहार लगाई कि धरम सिंह जैसे असहाय लोगों को सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्थान दें जिससे वे अपनी आजीविका चला पाएं।
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