खटीमा मंसूरी अमर शहिदों का सपनों का उत्तराखंड कब बनेगा।
सन 194एक सितंबर को उत्तराखंड का सीमांत एरिया खटिमा से उत्तराखंड प्रथक राज्य के लिए हजारों की संख्या बडे बुजुर्ग , महिला पूर्व सैनिक,व छात्र छात्राओं ने हजारों की संख्या खटीमा बजार होते हुए ऐतिहासिक रामलीला मैदान मे शांति पूर्वक जन सभा करके उतराखड प्रथक राज्य की मांग की।
जब आन्दोलन कर्ता अपनी शांति पूर्वक सभा करके दोपहर के समय कांजाबगा तिराहे से लौट रहे थे तब इन हजारों की संख्या में बड़े बुजुर्ग, महिलाओं, पूर्व सैनिकों,व छात्र, छात्राओं पर पुलिस ने पहले पानी की बौछार की फिर पत्थराव उसके बाद बिना चेतावनी दिए आन्दोलन कारी लोगों गोलियां चला दीं जिसमें कई लोग शहीद हुए और दर्जनों लोग घायल हुए।
इन अमर शहीदों के लिए पुलिस के द्धारा बिना चेतावनी से गोली चलाने से शहिदों के चक्कर में 2सितबर 1994 को मंसूरी में सैकड़ों की तैजाद में लोगों ने सड़कों पर उतर कर उत्तराखंड प्रथक राज्य की मांग की।
उत्तराखंड के लिए खटीमा गोली व मसूरी गोली कांड आज भी कुमाऊं गढ़वाल के लिए एक सपना रह गया।
26साल उत्तराखंड राज्य अलग करने के लिए जगह जगह पर आन्दोलन किया।आज उत्तराखंड राज्य को बना हुआ 22साल होने जा रहे हैं।
जिन शहिदों अपनी जान की बाजी लगाई उत्तराखंड राज्य के लिए एक सपना रह गया।
आन्दोलन कारी लोगों ने उत्तराखंड में रोज़गार,पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य,के लिए अलग राज्य की लड़ाई लडी। प्रताप सिंह नेगी उत्तराखंड प्रथक राज्य आन्दोलन कारी का कहना 22साल होने जा रहे उत्तराखंड को अभी भी उत्तराखंड का बिकास व पलायन शिक्षा रोजगार, सड़क, स्वास्थ्य प्राथमिकता से चल रहा।।
उत्तराखंड राज्य में कभी बिजेपी व कभी कांग्रेस बारी बारी से आती गई।जिस उद्देश्य के उत्तराखंड बनाया गया उस उद्देश्य से अभी भी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार,व सड़कों का अभाव है। यही आभाव के कारण आज उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों का युवा पलायन की रफ्तार में है।