यूजेवीएन लिमिटेड द्वारा आपातकालीन कार्य योजना के कार्यान्वयन पर वर्चुअल बैठक का आयोजन

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देहरादून।यूजेवीएन लिमिटेड द्वारा केन्द्रीय जल आयोग के सहयोग से बाढ़ या आपदा में बांधों को हानि या क्षति की संभावना को दूर करने के लिए आपातकालीन कार्य योजना के कार्यान्वयन पर वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया।

यूजेवीएन लिमिटेड द्वारा केंद्रीय जल आयोग के सहयोग से बाढ़ या आपदा आदि आने पर बांधों को क्षति अथवा हानि की संभावनाओं को दूर करने के लिए बांध पुनर्वासन एवं सुधारीकरण परियोजना के अंतर्गत आपातकालीन कार्य योजना के कार्यान्वयन पर एक वर्चुअल बैठक आयोजित की गई। उक्त बैठक में विभिन्न क्षेत्रों के वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे।
बैठक में यूजेवीएन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री संदीप सिंघल ने कहा कि आपातकालीन कार्य योजना हमें अचानक घटी प्रलयकारी घटनाओं तथा आपदाओं का सामना करने एवं उनसे बचाव एवं सुरक्षा हेतु तैयार करती है। श्री संदीप सिंघल ने इस बात पर जोर दिया कि बांध पुनर्वासन एवं सुधारीकरण परियोजना के अंतर्गत आपातकालीन कार्य योजना में परियोजनाओं के उपग्रह आधारित जीआईएस तकनीक के प्रयोग से ग्लेशियरों, नदियों तथा परियोजनाओं के जल संग्रहण क्षेत्रों आदि की गतिविधियों एवं स्थितियों का अनुश्रवण किया जाना चाहिए तथा इससे उपलब्ध आंकड़ों का समय-समय पर समुचित अध्ययन भी किया जाना चाहिए जिससे कि किसी भी अनहोनी का पूर्वानुमान लगाया जा सके एवं जान माल की सुरक्षा के उपाय किए जा सकें। उन्होंने कहा कि यूजेवीएन लिमिटेड बांध पुनर्वासन एवं सुधारीकरण परियोजना (DRIP) के अंतर्गत आने वाले कार्यों को तत्परता से क्रियान्वित कर रहा है तथा आपातकालीन कार्य योजना को भी समुचित रूप से अंगीकार करेगा।

आपातकालीन कार्य योजना के बारे में बोलते हुए अन्य वक्ताओं ने कहा कि यह योजना परिवर्तनशील प्रकार की योजना होनी चाहिए तथा जमीनी तथा तकनीकी स्तर पर हुए कोई भी बदलाव इसमें भी सम्मिलित किए जाते रहने चाहिए जिससे कि इसकी प्रासंगिकता सदैव बनी रहे। वक्ताओं ने यह विचार भी रखा कि यूजेवीएन लिमिटेड उत्तराखंड राज्य में DRIP को लागू करने वाला मुख्य विभाग है अतः इसके क्रियान्वयन में टीएचडीसी, एनएचपीसी एवं अन्य जल विद्युत उत्पादकों से सहयोग लेते हुए यूजेवीएन लिमिटेड को प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए।
बैठक में वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि संभावित दुर्घटनाओं या आपदाओं को ध्यान में रखते हुए समय समय पर माक ड्रिल करने के साथ ही सुरक्षा प्रणालियों एवं उपकरणों की जांच भी की जाती रहनी चाहिए जिससे समय पर इनका समुचित उपयोग किया जा सके। बैठक में चमोली जनपद के सुदूरवर्ती क्षेत्र में विगत दिनों आई आपदा की जानकारी देने में स्थानीय लोगों एवं तंत्र की सक्रियता का उल्लेख करते हुए वक्ताओं ने सुझाव दिया कि स्थानीय लोगों को भी इस संबंध में समुचित प्रशिक्षण देने हेतु समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहने चाहिए। वक्ताओं ने यह भी कहा कि भविष्य में दुर्घटना हो जाने या आपदा आने की स्थिति उत्पन्न होने पर आसपास के लोगों हेतु पूर्व में ही सुरक्षित स्थान चिन्हित कर आपदा के समय उन तक आसान पहुंच बनाने के उपाय भी योजना में शामिल किए जाने चाहिए। बैठक में यह सुझाव भी दिया गया की आपातकालीन कार्य योजना में राज्य एवं केंद्रीय आपदा राहत बलों की इस हेतु बनाई गई कार्य योजनाओं को भी समाहित किया जाना चाहिए। वक्ताओं ने पूर्व में आई बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के साथ ही भविष्य में घटने वाली घटनाओं के पूर्वानुमान के आधार पर निचले क्षेत्रों की सुरक्षा एवं बचाव की कार्य योजना बनाने का सुझाव भी दिया। साथ ही यह सुझाव भी दिए गए कि बांधों एवं अन्य संरचनाओं के नियमित अंतराल पर निरीक्षण एवं अध्ययन किए जाते रहने चाहिए। यह भी सुझाव दिया गया कि बाढ़ या बांधों को हानि की दशा में रेडियो, टीवी, सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों का सटीक जानकारी प्रसारित कर आम जनता में फैले भ्रम एवं डर को दूर करने में उपयोग किया जा सकता है। अपने समापन संबोधन में यूजेवीएन लिमिटेड के निदेशक परियोजनाएं श्री सुरेश चंद बलूनी ने कहा कि यह आपातकालीन कार्य योजना के अंतर्गत लागू की गई एक महत्वपूर्ण योजना है जो कि बाढ़ या बांधों में क्षति या हानि की स्थिति में सुरक्षा एवं बचाव हेतु बहुत ही लाभदायक है।

आपातकालीन कार्य योजना संबंधित इस बैठक में केंद्रीय जल आयोग से श्री गुलशन राज, श्री प्रमोद नारायण व डा. डेविड, विश्व बैंक से डॉ. चामुंघम राजगोपाल सिंह, यूजेवीएन लिमिटेड से निदेशक परिचालन श्री पुरुषोत्तम सिंह, महाप्रबंधक गंगा वैली एवं नोडल अधिकारी DRIP श्री पंकज कुलश्रेष्ठ, उपमहाप्रबंधक श्री भरत भारद्वाज के साथ ही जिला प्रशासन उत्तरकाशी, देहरादून, सिरमौर, करनाल, यमुनानगर व सहारनपुर के प्रतिनिधियों, केंद्रीय एवं राज्य आपदा राहत बलों के अधिकारियों, आकाशवाणी, भारतीय मौसम विभाग, भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग आदि अनेक विभागों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग करते हुए विचार व्यक्त किए।

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