अर्थशास्त्रीयों ने उत्तराखंड के सतत विकास के लिए योजनाओं का क्रियान्वयन और निगरानी को आवश्यक बताया
देहरादून। दून विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के द्वारा उत्तराखंड के विकास के अनुभव थीम पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में देश भर से 100 से अधिक विषय विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया और अपने विचारों को उत्तराखंड राज्य के परिपेक्ष में रखा। संगोष्ठी में विषय विशेषज्ञों एवं शोधार्थियों ने अपने शोध पत्रों पर विस्तार से विभिन्न सत्रों में चर्चा की।सामाजिक क्षेत्र में विकास विषय पर विशेषज्ञों ने शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं की समस्याओं एवं सुधार पर चर्चा की सत्र के अध्यक्ष आई आई टी रुड़की के प्रोफेसर एस पी सिहं ने किया। दूसरे सत्र में विदेश व्यापार संस्थान के कुलपति प्रोफेसर मनोज पंत ने राज्य के विकास की कार्य योजना पर प्रकाश डाला। तीसरे सत्र में पर्यावरण, सिविल सोसाइटी और हरित अर्थव्यवस्था की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की गई इस सत्र में प्रोफेसर एच सी पुरोहित ने जीडीपी की तुलना में इको सिस्टम सविर्सेज आधारित अर्थव्यवस्था अक्षय विकास के लिए मार्ग खोलेगा।
डाँ एस पी सती ने उत्तराखंड में सतत विकास पर्यावरण के साथ कैसे हो सकता है इस विस्तार से प्रकाश डाला। एनडीटीवी के वरिष्ठ सवांददाता सुशील बहुगुणा ने राज्य विकास के विभिन्न विषयों पर चर्चा की ओर कहा कि रोजगार की तलाश में हो रहे पलायन पर गम्भीरता से ध्यान देना होगा। प्रोफेसर हर्ष डोभाल ने सिविल सोसायटी व विकास की अवधारणा स्पष्ट की। डॉक्टर सुधांशु जोशी ने अपनी व्यवहारिक राय रखी और अक्षय विकास के आयामों पर चर्चा की ऊर्जा पोर्वटी एवं आपूर्ती श्रृंखला के शोध के आयामों पर प्रकाश डाला। वित्तीय संसाधनों को अक्षय विकास में सुधारों के लिए पॉलिसी पर चर्चा सत्र मे विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे।
लबास्ना मसूरी के पूर्व निदेशक डॉक्टर संजीव चोपडा ने वर्तमान में लाभकारी रोजगार और आय के स्रोत के रूप में जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देना अति आवश्यक है. उत्तराखंड में मत्स्य पालन को बढ़ावा देना के साथ-साथ, बागवानी की क्षमता का दोहन करना अति आवश्यक है।
यूकोस्ट ने महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा कि उत्तराखंड के खाली हो चुके ग्रामों में भूमि की चकबन्दी कर लीज आधार पर उपयोग करने की जरूरत है और विकास कार्यक्रमों में वैज्ञानिक नीति की पहल की।राज्य प्लानिंग विभाग के संयुक्त निदेशक डॉक्टर मनोज पंत ने सहकारी खेती-सार्वजनिक होने के साथ साथ इसमे निजी निवेश एवम सार्वजनिक निवेश को बढ़ाया जाए रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ाने के लिए निवेश किया जाने पर चर्चा की।
राज्य के पूर्व मुख्य सचिव डॉक्टर एन रवि शंकर ने कहा कि जलवायु अनुरूप बीज विकसित किये जायें और गुणवत्ता नर्सरी तैयार की जाए, जहां पर सड़के नहीं बन पाई है वहां कम लागत वाले रोपवे लगाये जाने की जरूरत है।-प्राकृतिक संसाधन के प्रबंधन में लिंक समावेशन होना चाहिए व वनपंचायतों को मजबूत करने की जरूरत है।
कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने सीमावर्ती जिलों में सार्वजनिक कार्यों में भारी निवेश किया जाना चाहिए। इसके साथ ही शिक्षा में सार्वजनिक निवेश को युक्तिसंगत बनाने की प्राथमिकता के साथ ब्लॉक मुख्यालयों में आवासीय विद्यालयों का निर्माण शिक्षा के स्तर को सुधारने में मदद कर सकता है।
नियामक और निगरानी उद्देश्यों के लिए मोबाइल टीम की स्थापना ताकि विभिन्न संस्थानों को मोनिटर किया जा सके।
राज्य उद्योग निदेशक डाँ एस सी नोटियाल ने कहा कि बाजार की जरूरत के हिसाब से युवाओं को कुशल बनाना होगा।महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए योजनाएं बनाने की आवश्यकता है।युवा शक्ति को उच्च संस्थानों में नवीन सोच और अनुसंधान के लिए चैनलाइज़ किये जाने के साथ साथ युवा उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को जोड़ा जाना चाहिए है एवम ब्लॉक मुख्यालयों में कौशल विकास से संबंधित कार्यक्रम चलने चाहिए।
विशेषज्ञों ने कहा कि राज्य की भूमि विकास नीति के साथ-साथ भूमि पंजीकरण पर एक सरल नीति बनाए जाने की आवश्यकता है। चकबंदी के लिए ऐसी नीति बनाए जाने की आवश्यकता है जिसे लागू किया जा सके। कृषि में सार्वजनिक निवेश बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में सिंचाई के संसाधन बढ़ाने होंगे एवं बाहरी लोगों को कृषि योग्य भूमि की बिक्री की रक्षा कैसे करें इस पर भी बात होना आवश्यक है।
स्वास्थ्य और शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना होगा एवं विभिन्न शहरों और गांवों को जिला मुख्यालयों से जोड़ना होगा ताकि विशेषज्ञ डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधायें दे सके । पहाड़ि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी होना कई परिपेक्ष के लिए आवश्यक है। पर्यावरण के प्रति संवेदनशील नीतियां ही विकास रणनीति होनी चाहिए।
सेमिनार के आयोजक प्रोफेसर आर पी मंमगाई ने कहा कि ऊंची पहाड़ियों में जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर रोक लगनी चाहिए क्योंकि आपदाओं में ऐसी परियोजनाओं में नुकसान होता है। पहाड़ी जिलों के लिए विशेष केंद्रीय पैकेज मिले और गैरसैंण में स्थायी राजधानी बननी चाहिए।
इस अवसर पर डॉक्टर सवीता कर्नाटक, डाँ रीना सिंह, डाँ प्राची पाठक, डाँ राजेश भट्ट,डाँ मधु बिष्ट, डाँ राधिका बहुगुणा, डाँ अरुण कुमार, डाँ राकेश भट्ट, डाँ प्रीति मिश्रा, डाँ अंकिता मंडोलिया
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