सरकार के नए मॉडल स्कूल की पहल, वंही विगत 10 वर्षों से छात्र-छात्राएं खुले मैदान में पढ़ने को मजबूर

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विनीत कंसवाल, उत्तरकाशी*

उत्तरकाशी। सूबे की डबल इंजन सरकार सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए प्रत्येक ब्लॉकों में मॉडल स्कूल खोलने जा रही है। तो वहीं सरकारी विद्यालयों में सभी सुविधाओं से लैस करने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन इस सब दावों की हकीकत बयां कर रहा है। जनपद का राजकीय इंटर कॉलेज साल्ड, जहां पर विगत 10 वर्षों से छात्र-छात्राएं खुले मैदान में पढ़ने को मजबूर हैं। क्योंकि करीब 40 वर्ष से 50 वर्ष पूर्व बने भवन अब हादसों को न्यौता दे रहे हैं। साथ ही पुराने भवनों की छतों पर घास उग आई है। तो वहीं छात्रों का कहना है कि बर्फबारी और बरसात के दौरान वह स्कूल आने से डरते हैं। तो वहीं आज तक बैठने के लिए कक्षाएं नहीं बन पाई हैं। जिस कारण बरसात और बर्फबारी के दौरान एक ही कमरे में दो से तीन कक्षाओं के बच्चे बिठाए जाते हैं। जिससे कि जीर्ण शीर्ण भवनों में किसी भी घटना की आशंका से बच्चे सहम जाते हैं। राजकीय इंटर कॉलेज साल्ड जनपद मुख्यालय से महज 6 किमी की दूरी पर स्थित है। लेकिन उसके बाद भी शासन और प्रशासन के कानों तक आज तक करीब 6 गांव के इन 200 बच्चों की समस्या नहीं पहुंची है। अभिभावक संघ के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह नेगी और विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सरत सिंह नेगी का कहना है कि 13 वर्ष पूर्व स्कूल के नए भवन का निर्माण शुरू हुआ था। लेकिन वह निर्माण कार्य तीन वर्ष चलकर विगत 10 वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। जहां एक तरफ जीर्ण शीर्ण पुराने भवनों के चलते उनके बच्चे खुले मैदान में पढ़ने को मजबूर हैं। तो वहीं दूसरी और नया निर्माणधीन भवन पूरी तरह खण्डर में तब्दील हो चुका है। स्थिति इतनी दयनीय है कि नए और पुराने भवनों के कमरों और छतों पर घास उग आए है। शासन प्रशासन को कई बार लिखित देने के बावजूद भी उनके नौनिहालों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि नए स्कूल भवन निर्माण और जीर्ण शीर्ण भवनों को ठीक कराने के लिए शासन और प्रशासन को कई बार लिखित भी दिया जा चुका है। लेकिन उसके बावजूद भी किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हो रही है। कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजने से डर रहे हैं। साथ ही अगर अब शासन प्रशासन कार्यवाही नहीं करता है तो आगामी सोमवार को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा और उसके बाद भी कार्यवाही न होने पर उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की रहेगी।

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