रुद्रप्रयाग। श्री केदारनाथ यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों के साथ किसी प्रकार कोई क्रूरता न हो जिसके दृष्टिगत राज्य के विभिन्न मार्ग पर अश्ववंशीय पशुओं के परिवहन हेतु अधिकतम अनुमन्य धारिता क्षममा के आंकलन के संबंध में यात्रा मार्ग पर अवस्थापित घोड़ा-पड़ावों/अश्वशाला परिसर में उपलब्ध आवासीय स्थान हेतु मा. उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेशों के क्रम में अपर मुख्य सचिव द्वारा निर्गत आदेशों के अनुरूप में उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड द्वारा गठित पांच सदस्यीय टीम द्वारा यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों के संबंध में संयुक्त निरीक्षण किया गया जिसके संबंध में जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की अध्यक्षता में जिला सभागार कक्ष में बैठक आयोजित की गई तथा गठित टीम द्वारा किए गए निरीक्षण के संबंध में केदारनाथ यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों के सफल संचालन हेतु उनके सुझाव लिए गए। गठित समिति के सदस्यों में अपर निदेशक पशुपालन गढ़वाल मंडल, अपर निदेशक पशुपालन मुख्यालय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी टिहरी गढ़वाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी रुद्रप्रयाग संयुक्त निदेशक उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड, प्रभारी अधिकारी उत्तराखंड गौसेवा आयोग टीम द्वारा महत्वपूर्ण विन्दुओं को प्रस्तावित किया गया।
समिति के सदस्यों ने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि प्रति कि.मी. पर यात्री एवं सामान ढुलान हेतु अधिकतम 100 घोड़ा-खच्चर का प्रयोग करने से आवागमन की सुविधा रहेगी तथा जनधन की हानि के बचाव हेतु उक्त नियम को जारी किया जाए। प्रत्येक पंजीकृत अश्ववंशीय पशुओं दो मार्ग में पंजीकृत किया जाए। एक यात्री 50 कि.मी. से अधिक वनज हेतु घोड़ा-खच्चर लिया जाए तथा 50 कि.मी. नीचे भार वाले यात्री को टट्टू पोनी को लिया जाए। यात्रियों को घोड़ा-खच्चरों को भुगतान पर्ची जारी करते समय यात्री का भार लेकर ही घोड़े-खच्चर, पोनी (टट्टृ) निर्गत किया जाए। बैठक में जी मैक्स द्वारा अवगत कराया गया कि एक ही मालिक के 6 से 8 तक अश्ववंशीय पशु है जिन्हें 2 तक ही सीमित किया जाए तथा एक हाॅकर अथवा एक मालिक एक ही खच्चर का नियम लागू किया जाए। आगामी वर्षों में अश्व स्वामियों को यात्रा मार्ग पर अनुमति की प्रक्रिया में सर्वप्रथम पशु चिकित्साधिकारी द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही जी मैक्स द्वारा पंजीकरण के उपरांत ही बीमाकरण की कार्यवाही संपन्न की जाए। समिति के सदस्यों ने यात्रा मार्ग के मध्य में एक पड़ाव का होना भी आवश्यक बताया। समिति द्वारा सुझाव दिया गया कि केदारनाथ धाम में रात को रुकने वाले घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए ताकि गौरीकुंड वापसी तक वे स्वस्थ रहें। इसके साथ ही केदारनाथ पैदल मार्ग पर अश्व पशु का परिवहन दो चरणों में किए जाने का सुझाव दिया।
बैठक में जिलाधिकारी ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिए कि केदारनाथ यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों के साथ उनके मालिकों एवं हाॅकरों द्वारा किसी प्रकार की पशु क्रूरता न हो इसके लिए गठित समिति द्वारा जो भी सुझाव दिए गए हैं उन पर यथोचित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। यदि किसी घोड़े-खच्चर हाॅकर एवं मालिक के द्वारा किसी प्रकार की क्रूरताा की जाती है तो उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करते हुए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यात्रा मार्ग में संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों को उचित चारा व दाना उपलब्ध हो इस पर भी विशेष निगरानी रखने के निर्देश दिए तथा घोड़े-खच्चरों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करने के भी निर्देश दिए तथा बिना पंजीकरण एवं रजिस्ट्रेशन यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों का किसी भी दशा में संचालन न किया जाए।
बैठक में सहायक निदेशक लोकेश सिंह, डाॅ. अशोक कुमार, संयुक्त निदेशक डाॅ. शरद भंडारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी टिहरी डाॅ. आशुतोष जोशी, रुद्रप्रयाग डाॅ. आशीष रावत, डाॅ. डी.सी. सेमवाल, निदेशक जी मैक्स रोहित सिंह आदि उपस्थित थे।
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