देहरादून।उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इन दिनों बाघ व तेंदूए की आतंक दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है।दिनदहाड़े जंगलों व खेतों में बाघ किसी न किसी को निवाला बना दे रहा है।ये बाघ का आतंक इतना भयानक रूप ले लिया है पहाड़ी क्षेत्रों के दस पंद्रह किलोमीटर दूर जाने वाले स्कूल के बच्चे व जंगलों में घास काटने वाली महिलाओं के जबर्दस्त भय व्याप्त है।बिगत दो सालों कुमाऊं व गढ़वाल के कई महिलाओं व बुजुर्गो व स्कूल के बच्चों की जान ले चुका है।
अभी अभी वर्तमान बाघ ये आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तराखंड की गरीब महिलाओं का जंगलों से घास काटना तक बंद होगया।गरीब व असहाय लोगों का जंगलों से घास काटना और गाय भैंस पालना दुर्लभ हो गया।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह नेगी ने बाघ के बढ़ते आतंक की चिंता को व्यक्त करते हुए बोला कि अगर वन बिभाग व शासन प्रशासन की ओर से ये बाघ के आतंक के लिए कोई रोकथाम नहीं की गई तो भविष्य में उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों को अपने दिनचर्या व कामकाज करने में बहुत दिक्कत आ सकती है।दिन पर दिन बाघ के द्धारा घटनाएं होती जा रही है इसलिए लोग भयभीत हो रहे।
वन विभाग ने बाघ के आतंक के लिए कोई न कोई कढे से नियम बनाने चाहिए नहीं तो उत्तराखंड में बाघ आतंक धमने का नाम नहीं ले रहा है।