नई दिल्ली।पीआइबी।पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने उद्योग से आग्रह किया है कि वह नई प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करे और अधिक मूल्यवर्धन सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के निर्यात की दिशा में काम करे ताकि भारतीय इस्पात क्षेत्र को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। गौण इस्पात क्षेत्र के बारे में ऑल इंडिया इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआईआईएफए) के 33 वें राष्ट्रीय सम्मेलन में आज नई दिल्ली में भाग लेते हुए श्री प्रधान ने कहा कि देश का लगभग आधा इस्पात उत्पादन गौण इस्पात क्षेत्र द्वारा किया जाता है। हम अपने नीतिगत ढांचे को और समावेशी बना रहे हैं। हमारी सरकार ने कच्चे माल को गौण इस्पात क्षेत्र के लिए और अधिक सुलभ बना दिया है। उद्योगों को बदले में अधिक मूल्य वर्धित उत्पादों का उत्पादन करना चाहिए।
सम्मेलन का विषय था “इलेक्ट्रिक इंडक्शन फर्नेस (ईआईएफ) के जरिए पर्यावरण के अनुकूल इस्पात बनाने का सबसे लाभप्रद मार्ग और उसकी वैश्विक स्वीकृति”।
इस्पात क्षेत्र के लिए ऊर्जा उपलब्धता और उसे खरीदने की सामर्थ्य के महत्व के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि इस्पात उद्योग को अधिक किफायती ऊर्जा की आवश्यकता है। हम ऊर्जा के नए स्रोतों की खोज कर रहे हैं। हम गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। ऊर्जा गंगा योजना के माध्यम से हम एक बड़ा नेटवर्क बिछा रहे हैं। हमारे पास देश में 600 मिलियन मीट्रिक टन बायोमास है। प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से हम उच्च ऊर्जा उत्पादन के लिए गारंटी देने का काम तेज कर रहे हैं। हम जैव ऊर्जा उत्पादन के लिए 5000 संयंत्र स्थापित करने के काम में तेजी ला रहे हैं।
एमएसएमई के महत्व का उल्लेख करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि हालाकि अर्थव्यवस्था में उत्पादन स्तर बढ़ने के अपने लाभ हैं, रोजगार सृजन के मामले में बड़े उद्योग अकेले बड़ी आबादी की जरूरत को पूरा नहीं कर सकते। हमारे एमएसएमई बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धन सृजनकर्ताओं के बिना देश समृद्ध नहीं हो सकता। “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” के मंत्र द्वारा निर्देशित हम धन सृजनकर्ताओं की वृद्धि को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
शुद्ध इस्पात निर्यातक बनने की भारत की महत्वाकांक्षा के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि भारत अभी भी उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात का आयात करता है। हमारे पास कुशल कार्यबल का एक बड़ा बाजार है। हमें देश में अधिक उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात को विकसित करने और शुद्ध निर्यातक बनने की दिशा में एक पारिस्थितिकी तंत्र बनना चाहिए।
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