ललित जोशी ,नैनीताल
सिविल न्यायालय अल्मोड़ा में होगी अब मामले की सुनवाई
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध गोलज्यू के चितई अल्मोड़ा स्थित मंदिर के प्रबंधन को लेकर जनहित याचिका व पुनर्विचार याचिका में खुद कोई निर्णय लेने से इंकार करते हुए सिविल न्यायालय अल्मोड़ा को
मामले में उपासना से संबंधित अधिकार के साक्ष्य के आधार पर छह माह के भीतर निर्धारित करने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने साफ कहा है कि दीवानी अधिकारों के लिए साक्ष्य की जरूरत होती है और जनहित याचिका में सबूत नहीं देखे जा सकते हैं। सिविल कोर्ट से यह भी कहा है कि हाईकोर्ट के मंदिर से संबंधित आदेशों से प्रभावित हुए बिना मामला निस्तारित करे। साथ ही पक्षकारों से अपने दावे से संबंधित प्रार्थना पत्र सिविल कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं। इसके साथ ही छह माह तक मंदिर की व्यवस्थाओं के लिए अल्मोड़ा के जिलाधिकारी को अस्थायी कमेटी बनाने के निर्देश भी दिए हैं। कमेटी में जिलाधिकारी के साथ ही पुजारियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि नैनीताल निवासी अधिवक्ता दीपक रूवाली ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि चितई के गोलज्यू मंदिर में हर साल आने वाले लाखों के चढ़ावे के सही प्रबंधन के लिए मंदिर का ट्रस्ट बनाने की मांग की थी, जबकि अल्मोड़ा की संध्या पंत ने पुराने दस्तावेजों के साथ पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा था उनके पूर्वजों ने मंदिर बनाया था। इस पर न्यायालय ने मामले में सुनवाई करते हुए पर्यटन सचिव की ओर से बनाई गई मंदिर प्रबंधन कमेटी से संबंधित आदेश को रिकॉल और जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा लिए गए प्रशासनिक आदेशों को निरस्त कर दिया था