ललित जोशी ,नैनीताल*
नैनीताल, । उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार के कार्यकाल में अपने विद्यालयों से इतर अन्यत्र सम्बद्ध किए गए शिक्षकों को उनके मूल विद्यालय में भेजने के त्रिवेंद्र रावत सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली प्रारंभिक शिक्षकों की याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
इस प्रकार जहां राज्य सरकार को इस मामले में उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है, वहीं पहुंच के बल पर सुविधाजनक स्थानों पर सम्बद्ध किए गए शिक्षकों को बड़ा झटका मिला है। अब उन्हें अपने मूल विद्यालयों में जाना ही होगा। इससे खास कर पहाड़ के विद्यालयों में तैनात शिक्षकों के लौटने की उम्मीद भी की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में पिछली सरकार में करीब 600 शिक्षकों को उनके मूल विद्यालयों की जगह जरूरी कार्य व्यवस्थाओं को निपटाने के नाम पर सुविधाजनक स्थानों पर संबद्ध करने के आदेश किये गए थे। लेकिन तब से इनमें से अधिकांश शिक्षक सुविधाजनक स्थानों पर जमे हुए थे, और उनके मूल विद्यालयों में बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित हो रहा था। इस पर वर्ष 2019 में मौजूदा सरकार ने संबद्धता समाप्त करते हुए मूल विद्यालय में तैनाती के आदेश जारी किए थे। इस पर कुछ शिक्षक तो मूल विद्यालय चले गए जबकि कुछ ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सरकार के आदेश को चुनौती दी। इस पर अदालत से कुछ संबद्ध शिक्षकों को अंतरिम राहत भी मिली थी। किंतु अब न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने करीब दो दर्जन से अधिक शिक्षकों की याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
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