देहरादून। केदारनाथ में इस बार रिकॉर्ड बर्फबारी की वजह से यात्रा शुरू होने के दो हफ्ते पहले बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई हैै हालत यह है कि 15 फीट बर्फबारी की वजह से रास्ते तक ढूंढना मुश्किल हो रहा है. जो जनसुविधाएं तैयार की गई थीं वह नष्ट हो गई हैं या क्षतिग्रस्त हो गई हैं। 2013 की आपदा से पहले ही चैराबाड़ी में झील के फटने की चेतावनी देने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर डीपी डोभाल केदारपुरी के पुनर्निर्माण को लेकर पहले भी चेता चुके हैं. वाडिया इंस्टीट्यूट और हिमालयन जियोलॉजी में ग्लेश्योलॉजी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर डोभाल से बात कर हमने समझना चाहा कि इस भारी बर्फबारी की वजह से कोई खतरा है क्या?
इस सवाल के जवाब में डॉक्टर डीपी डोभाल कहते हैं कि इस बार बर्फ थोड़ी ज्यादा गिर गई है इसलिए हलचल मची हुई है. वरना पहले तो बर्फ ऐसे ही गिरती थीै बीसेक सालों से बर्फ गिरनी कम हो गई थी लेकिन इस साल फिर बर्फ ज्यादा पड़ी है तो लोग आशंकाएं लगा रहे हैं।
डॉक्टर डोभाल कहते हैं प्रकृति से छेड़खानी करोगे तो नुकसान तो होगा ही. और एंथ्रोपॉलोजी इफेक्ट के अनुसार उसका असर इंसान पर भी पड़ेगा। जब आप किसी नाजुक चीज को छेड़ोगे तो उसमें गड़बड़ियां आएंगी ही आएंगी। हालांकि यह असर 10-20 साल बाद दिखेगा, इस साल हुई बर्फबारी से इसका कोई लेना-देना नहीं है।
डॉक्टर डोभाल कहते हैं कि केदारनाथ में पड़ी बर्फ से अभी तो कोई प्रत्यक्ष खतरा नहीं दिखता। लेकिन सावधानी तो बरतनी ही पड़ेगी. आप बर्फ में चल रहे हो जो बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़े झूल रहे हैं वह टूटकर गिर सकते हैं, ऐवलॉंच आ सकते हैं छोटे-बड़े. बर्फ ज्यादा गल गई तो छोटे-छोटे भूस्खलन भी शुरु हो जाएंगे. पानी होगा, कीचड़ होगा बहुत सारी चीजें परेशानी पैदा कर सकती हैं।