पत्रकारों की दशा बहुत सोचनीय एवं गंभीर है ,पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने की सरकार से प्रेस नीति बनाने की वकालत

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देहरादून। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने फेसबुक लाइव के माध्यम से काम की बात (भाग-4) के तहत समाचार पत्र एवं पत्रकारिता की दशा एवं दिशा पर चर्चा करते हुए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से प्रेस नीति बनाने के लिए मांग की। पूर्व मंत्री ने कहा कि भारत में 200 वर्ष पूर्व जिस पत्रकारिता का अभ्युदय हुआ था उसमें बहुत कुछ सुधार हुआ किंतु आज भी पूरे भारत में पत्रकारिता से जुड़े हुए पत्रकारों की दशा बहुत सोचनीय एवं गंभीर है। आज भी कई पत्रकार समाचारों को एकत्र करते हुए दुर्घटनाओं में दिवंगत हो गए तथा कई पत्रकार अंग भंग होने से विकलांग हो गए हैं। आज मृतकों के परिवार एवं विकलांग हुए पत्रकारों के परिवार जीवन यापन की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं।

नैथानी ने कहा कि वर्तमान कोरोना संकट में कई अखबार एवं चैनल समूहों ने अपने सैकड़ों पत्रकारों, संपादकों को नौकरी से निकाल दिया है। कई लोगों को पिछले 6 माह से वेतन तक नहीं मिल पाया, कई पत्रकारों का वेतन आधा कर दिया गया है तथा कई पत्रकारों को नोटिस दिए गए हैं कि आपकी सेवाएं कभी भी समाप्त की जा सकती है, जो कि सर्वथा अन्याय पूर्ण है।
पूर्व मंत्री ने केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से मांग की है कि सरकार को अपनी प्रेस नीति बनानी नितांत आवश्यक है, समाज के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले पत्रकारों के लिए सरकार को एक विशेष आकस्मिक कोष बनाना चाहिए एवं सक्रिय मान्यता प्राप्त पत्रकारों को आवासीय सुविधा रियायती दरों पर उपलब्ध करवाई जाए, उनके बच्चों के पठन-पाठन हेतु स्कूल की फीस में छूट दी जाय, उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में परिवार सहित निशुल्क आने-जाने की सुविधा प्रदान की जाए, पेंशन प्राप्ति का कोटा बढ़ाया जाए एवं पेंशन भी बढ़ाई जाए, प्रौढ़ पत्रकार युवा पत्रकार एवं वरिष्ठ पत्रकार के राज्य स्तरीय पुरस्कारों की धनराशि बधाई जाए, क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं के लिए एवं छोटे अखबारों के लिए विज्ञापन में भेदभाव न किया जाए, पत्रकारों का नाजायज उत्पीड़न न किया जाए, वरिष्ठ पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल आदि के साथ जो किया गया वह उचित नहीं है। पूरे देश में प्रदेश की राजधानियों एवं जिला मुख्यालयों में मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए आवासीय कालोनियां बनाई जाए, विगत हरीश रावत सरकार में पत्रकारों हेतु जिन सुविधाओं के लिए शासनादेश बने थे उनमें कटौती एवं निरस्तीकरण बंद कर दिया जाय।

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