देहरादून। पूरे उत्तराखण्ड में 27 हजार भोजनमातांए विभिन्न प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में वर्ष 2002कृ3 से भोजन बनाने का कार्य कर रही है। भोजन माताओं से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बराबर काम करवाया जाता है इसके एवज में हमें मानदेय के नाम पर मात्र दो हजार रूपये मिलते है जो कि उत्तराखण्ड में तय न्यूनतम मजदूरी का 25 प्रतिशत है।
प्रैस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान यह बात आज प्रगतिशील भोजनमाता संगठन की अध्यक्षा हंसी देवी ने कही। उन्होने कहा कि कई स्कूलों में भोजनमाताओं से भोजन बनाने के अतिरिक्त कार्य करवाये जाते है किसी भी काम को मना करने पर स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है। इस तरह न सिर्पफ भोजन माताओं को शोषण किया जा रहा है बल्कि स्कूलों में मानसिक उत्पीड़न भी किया जा रहा है। उन्होने कहा कि इस शोषण उत्पीड़न के खिलाफ व अपनी मांगों के चलते हम 9 जनवरी को सचिवालय में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के समीप प्रदर्शन कर अपनी मांगों को रखेगे। उन्होने उम्मीद जतायी है कि मुख्यमंत्री उनकी मांगो को सुनकर उस पर गम्भीरता पूर्वक विचार करेंगे।
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