रिपोर्ट । ललित जोशी।
नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल में कुछ दिन पूर्व श्री मद भागवत कथा पुराण का आयोजन नव सांस्कृतिक सत्संग समिति रामलीला के सदस्यों द्वारा किया गया था।
जिसमें व्यास नमन कृष्ण महाराज ने अपने मुखारबिंद से कृष्ण व राम के अलग अलग चरित्र पर प्रकाश डाला। वही उन्होंने मोबाइल ग्रुप के माध्यम से यह संदेश दिया है।
महाराज नमन कृष्ण महाराज ने जो सन्देश दिया है वह इस प्रकार है ।पहले विचार, फिर निर्णय, फिर कर्म, उसके बाद परिणाम का क्रम होता है. दो मुहावरे हैं, बुरे काम का बुरा नतीजा और दूसरा है बिना विचारे जो करे सो पीछे पछताय. दोनों मुहावरे हमें सही निर्णय करने के लिये कहते हैं, क्यों? दुनिया में इतना कष्ट, दुख दैन्य, पीड़ा, रुदन, सहन, मरण क्यों है? क्या यही सब सृष्टि कर्ता का उद्देश्य था? यह जीवन क्या दुखों को झेलने के लिये मिला है? पर 100% मानव तो दुख नहीं झेल रहे. अभाव के स्तर तो रहेंगे ही, पर दुख हमारे या दूसरे के कर्मों के कारण ही होता है या संयोग या नियति जन्य होता है. प्रकृति में सब कुछ विद्यमान है. पर हमारी स्वार्थ भावना हमें स्वार्थी बना देती है. व्यक्ति की जरूरतों की सीमा है, उससे ज्यादा हमें या दूसरों को हानि पहुंचाती है, अभाव पैदा हो जाता है. 100% मानवों के जीवन में समान सुख होना असंभव है. पर अधिकांश जनों को सुखी बनाना संभव है. पर मानव समस्या पैदा करने में एक्सपर्ट है.
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