” मै दिया जलाऊंगा “
मेरा देश जाग रहा है,
आलस्य, प्रमाद को त्याग रहा है।
सत्य का अनुसंधान कर रहा है,
अपनी संस्कृति और स्वस्थ परम्परा, की राह में निरंतर बढ़
रहा है।
तम को भगाऊंगा,
हां मै दिया अवश्य जलाऊंगा ।
तमस हृदय में ज्योति जलाने,
घर- घर शिक्षा की लौ जलाऊंगा।
हर नारी को समानता मिले,
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ,
और बेटी बढाओ।
राष्ट्र भक्ति जगाऊंगा,
हां मै दीपक जलाऊंगा ।
देश की भूख मिटाने को
स्वयं भूखे रहकर,
शीत- तपन जो सहते
अन्नदाताओं के
जीवन की खुशहाली का,
संदेश सबको सुनाऊंगा ।
हां मै दीपक अवश्य जलाऊंगा ।
उद्यम, साहस, धैर्य और
कर्तव्य पथ पर आगे बढ़कर,
देश की प्रगति के लिए,
तम को भगाऊंगा।
जन- जन मे शिक्षा की,
क्रांति लाऊंगा।
हां मै दिया अवश्य जलाऊंगा।
डाक्टर, पुलिस, स्वास्थ्य कर्मी,
निरंतर स्वछता में जुटे हुए,
प्रत्येक व्यक्तित्व जो
कोरोना के खिलाफ जान पर खेल कर लगे हुए,
जरूरतमंदों को भोजन दे रहे हैं, मानवता का संदेश दे रहे हैं,
धन्यवाद स्वरूप, बन्धुत्व निभाऊंगा,
हां मै दिया जलाऊंगा।
राष्ट्र सेवा जो लगे हुए हैं,
सुख अपना जो तजे हुए हैं।
ज्ञांत- अज्ञात उन महामानवों
की चरण- धूलि,
मस्तिष्क पर लगाऊंगा
हां मै दीपक जलाऊंगा ।
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आचार्य सन्तोष व्यास