रूद्रप्रयाग । विधायक भरत सिंह चौधरी व जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने पशु चिकित्सालय, रुद्रप्रयाग में उप पशु चारा बैंक का विधिवत उद्घाटन किया गया। यह चारा बैंक अगस्त्यमुनि चारा बैंक का विस्तारीकरण कर जनपद मुख्यालय में भी खोला गया। इसके साथ ही पशुपालको की मांग के अनुसार पशुपालन विभाग द्वारा रतूड़ा में भी उप चारा बैंक खोले जाने हेतु शासन में प्रस्ताव भेजा गया है।
कार्यक्रम में उपस्थित पशुपालकों को संबोधित करते हुय विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड का पहला जिला है जहाँ जिला योजना के अंतर्गत पशुपालकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर चारा उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही मुख्यालय में चारा बैंक खुलने से पशुपालकों को रुद्रप्रयाग से अगस्त्यमुनि नही जाना पड़ेगा। इसके साथ ही पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं में कृत्रिम गर्भादान के माध्यम से बछिया ही पैदा हो रही है। मुझे उम्मीद है उप चारा बैंक से निश्चित ही पशुपालको को लाभ मिलेगा व जनपद में अन्य लोग भी इस व्यवसाय से जुड़ेंगे।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने अगस्त्यमुनि चारा बैंक का विस्तारीकरण कर मुख्यालय में उप शाखा खोले जाने पर खुशी व्यक्त करते हुय कहा कि अब मुख्यालय के पशुपालको को अगस्त्यमुनि नही जाना पड़ेगा। साथ ही जनपद के पशुपालक अपने चारे की मांग को पशुपालन विभाग को उपलब्ध करा दे जिससे ससमय चारे की मांग के अनुसार चारे की उपलब्धता बनी रहे। बताया कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत राष्ट्र व्यापी कृत्रिम गर्भाधान का कार्यक्रम जनपद के 100 गाँव मे चलाया जा रहा है जिसमे विभाग द्वारा निःशुल्क कृत्रिम गर्भाधान किया जा रहा है। साथ ही विभाग द्वारा एस्केट योजनान्तर्गत पशुपालक जागरूकता गोष्टी का आयोजन कर खुर पक्का व मुह पक्का रोग तथा पेस्टिडिस पेस्टिस रुमीनेन्ट बीमारी के सम्बंध में भी विस्तृत जानकारी भी दी जा रही है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ आर एस नितवाल ने पशुपालको को बताया कि वैज्ञानिक दृष्टि से दुधारू पशुओं के शरीर के भार के अनुसार उसकी आवश्यकताओं जैसे जीवन निर्वाह, विकास, तथा उत्पादन आदि के लिए भोजन के विभिन्न तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहायड़रेट, वसा, खनिज, विटमिन्स तथा पानी की आवश्यकता होती है।
पशुओं में आहार की मात्रा उसकी उत्पादकता तथा प्रजनन की अवस्था पर निर्भर करती है। पशु को कुल आहार का 2-3 भाग मोटे चारे से तथा 1-3 भाग दाने के मिश्रण द्वारा मिलना चाहिए। मोटे चारे में दलहनी तथा गैर दलहनी चारे का मिश्रण दिया जा सकता है। दलहनी चारे की मात्रा आहार में बढ़ाने से काफी हद तक दाने की मात्रा को कम किया जासकता है। वैसे तो पशु के आहार की मात्रा का निर्धारण उस के शरीर की आवश्यकता व कार्य के अनुरूप तथा उपलब्ध भोज्य पदार्थों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के आधार पर गणना करके किया जाता है
इस अवसर पर क्षेत्रीय पशुपालक उपस्थित थे।
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