देहरादून।जिला पौड़ी गढ़वाल , गांव दालमिल के लोकप्रिय लोककलाकार हरीश रावत इन दोनों सोशल मीडिया में छाये हुए हैं। हरीश रावत खुद अपने लोक कला के जरिए उत्तराखंड के कई लोक कलाकार लोगों को अपने गीत के बोल भी देते हैं।और ख़ुद भी अलग अलग स्टूडियो में अपने लोकगीत गाते हैं। हरीश रावत ने अभी तक दो सौ लोकगीत बना बना कर उत्तराखंड के लोक कलाकारों दे चुके हैं। रावत ख़ुद सदाबहार गीत बनाकर इन दोनों का प्रचिलत हो रहे हैं।। रावत लोकलाकार के अभी मार्केट मैं सौ गीत आ चुके हैं। इन्होंने फ़ैशन, आर्मी,नशा मुक्ति, महंगाई प्यार में दोखा, और , शादी पर बहुत सी गीत बनाया जो अभी की दौर काफी प्रचलित है।
रावत कलाकार ने सन 2004 से छोटे छोटे प्रोग्राम या गांवों में रामलीला मंच के द्बारा अपने लोकनृत्य व गीतों को जन्म दिया ।सन 2018 से रावत ने लोकगीत लिख लिख कर अन्य कलाकारों भी दिये और खुद भी अलग अलग स्टूडियो में गाते रहते हैं।हरीश रावत लोकलाकार का कहना हमारी उत्तराखंड की लोक संस्कृति बिलुपत हो रही है हमको लोककला के जरिए उत्तराखंड राज्य की लोक संस्कृति व रीति-रिवाज को उजागर करना चाहिए। अपनी संस्कृति व अपनी रीति रिवाज व परंपरा ही हमारी पहचान है।
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