दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद संस्थान का उद्घाटन किया. इस मौके पर मोदी ने कहा कि सभी को अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए, इससे मुंह मोड़ना ठीक नहीं है. पीएम के इस बयान को यूपी के बीजेपी एमएलए संगीत सोम के लिए नसीहत के रूप में देखा जा रहा है.
इस मौके पर उन्होंने कहा, “कोई देश विकास की कितनी भी चेष्टा क्यों न करे, तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक अपनी विरासत पर गर्व करना नहीं जानता. गुलामी के समय में हमारे ज्ञान, ऋषि परंपरा, योग का उपहास उड़ाया गया. इससे हमारे लोगों का विश्वास उन शक्तियों से कम होने लगा. आज़ादी के बाद जरूरत थी कि जो था उसे संरक्षित किया जाए, जो जरूरी हो परिवर्तन किया जाए. लेकिन अपनी ही विरासत से मुंह मोड़ लिया गया. परिणामस्वरूप ऐसी जानकारियों के पेटेंट किसी और के पास चले गए. पिछले तीन सालों मे इस स्थिति को बदलने का प्रयास हुआ है.”
पीएम ने योग को विश्व विरासत बताते हुए कहा, “हमारी विरासत के प्रति विश्वास जागना प्रारम्भ हुआ है. जब योग दिवस पर अलग-अलग देशों मे लाखों लोग योग करते हैं तो लगता है ये भारत की विरासत है. हर समय हर भूभाग के लोगों ने कुछ न कुछ जोड़ा है. आज भारत की विरासत रहा योग पूरे विश्व की विरासत होता जा रहा है और ये केवल तीन सालों मे हुआ है. इसमे आयुष मंत्रालय की बड़ी भूमिका है.”
उन्होंने आगे कहा, “आयुष में सरकार आयुर्वेद, योग और जरूरी पद्धति के इंटिग्रेशन पर ज़ोर दे रही है. देश के हर जिले मे आयुर्वेद से जुड़ा अच्छी सुविधाओं से युक्त अस्पताल जरूर हो, इस दिशा मे आयुष मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है और तीन साल में ही 65 अस्पताल विकसित किये जा चुके हैं. एम्स की तर्ज़ पर संस्थान इसी का हिस्सा है. वेलनेस का ऐसा वातावरण बने कि लोगों को यहां तक आने की ज़रूरत न पड़े. आयुर्वेद संस्थान एम्स और कुछ और मेडिकल संस्थान के साथ मिलकर काम करेगा.
दुनिया आज बैक टु बेसिक और बैक टु नेचर की तरफ आ रही है. ऐसे मे आयुर्वेद के लिए माहौल बनना बिलकुल भी कठिन नहीं है.”
उन्होंने सवाल किया कि क्या ये संभव है कि बीएएमएस के कोर्स को इस तरह डिज़ाइन किया जाए कि हर परीक्षा पास करने पर अलग-अलग सर्टिफिकेट मिले? उन्होंने कहा कि जिनकी पढ़ाई बीच मे ही छूट गई उनके पास भी आयुर्वेद का कोई न कोई सर्टिफिकेट होगा. एक तरफ एलोपैथिक दवाइयां हैं कि खोला खा लिया, वहीं आयुर्वेद इसलिए मात खा जाता है क्योंकि उसकी प्रक्रिया कठिन है. आज का जमाना फास्ट फूड का है. आज के युग मे लोग तत्काल असर चाहते हैं, साइड इफैक्ट की परवाह नहीं करते. ये गलत है लेकिन बिकता यही है. ऐसी दवाइयों पर शोध करें जिनका प्रभाव तुरंत हो लेकिन साइड इफैक्ट न हो.
बता दें कि पिछले साल से आयुर्वेद के जनक धनवंतरी की जयंती यानी धनतेरस को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह एम्स की तर्ज पर बना पहला आयुर्वेद संस्थान है. आयुष मंत्रालय की पहल से इसे 10 एकड़ क्षेत्र में बनाया गया है. यह 157 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है.