रिपोर्ट। ललित जोशी / हर्षित जोशी।
नैनीताल सरोवर नगरी नैनीताल का 183वां जन्मदिन बड़े हर्षोल्लास और सर्वधर्म प्रार्थना के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न स्कूलों और संगठनों ने मिलकर ‘हैप्पी बर्थडे नैनीताल’ का केक काटा और सभी स्थानीय निवासियों एवं पर्यटकों को बधाई दी। सांसद प्रतिनिधि गोपाल रावत और समाजसेवी शालिनी बिष्ट ने भी इस समारोह में भाग लिया और नैनीताल के जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।
नैनीताल का इतिहास 18 नवंबर 1841 से जुड़ा है, जब अंग्रेज व्यापारी पी. बेरेन यहां पहुंचे। पहाड़ों से घिरे इस क्षेत्र और नैनी झील की सुंदरता ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने इसे अपना निवास स्थान बना लिया। 1842 में कुमाऊं के चौथे कमिश्नर जॉर्ज थॉमस लुसिगटन ने इसे यूरोपियन सेटलमेंट के तहत बसाया। आज नैनीताल न केवल अपनी वादियों और झीलों के लिए मशहूर है, बल्कि यह सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक भी है।
नैनीताल में माँ नैना देवी मंदिर, गुरुद्वारा, एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च, और जामा मस्जिद आपस में बेहद करीब स्थित हैं, जो इसे सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देते हैं।
हालांकि, बेतहाशा निर्माण और भूस्खलन के बढ़ते खतरे से नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता को नुकसान पहुंच रहा है। पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
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