देहरादून।देवभूमि खबर। उत्तराखण्ड ही नही देश के इतिहास में पौडी जनपद के चैंदकोट क्षेत्र का विशेष महत्व है 8 वी सदी में प्राकृतिक रूव से सुन्दर इस क्षेत्र का नाम चांदकोट पडा था जो गढवाल के 52 गढों में क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बडा गढ़ था। चाॅंदकोट गढ में मध्य गढवाल की 12 पट्टियों को मिलाकर बनाया गया था बाद में अंग्रेज शासन में 9 पट्टियों को ही इसमें शामिल किया गया था लेकिन आजादी के बाद चाॅंदकोट परगने का आस्तित्व समाप्त कर दिया गया।
शुक्रवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में चाॅंकोट वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारियों ने पत्रकार वार्ता में कहा कि वर्तमान मे अब चाॅंदकोट मात्र एक ऐतिहासिक शब्द है जिसका प्रशासनिक महत्व नहीं है लेकिन यहां के लोग आज भी इस शब्द से भावनात्मक रूप से जुडे़ हैं और अपने इतिहास पर गर्व करते है। उन्होंने कहा कि चाॅंदोट क्षेत्र अपनी वीरता के लिये ही नहीं अपनी एकता के लिये भी प्रसिद्व है। 17 मार्च को चाॅंदकोट परिवार सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा, जिसमें तीरथ सिंह रावत राही द्वारा लिखित ऐतिहासिक चाॅंदकोट का लोकापर्ण भी किया जायेगा। प्रेस वार्ता में उम्मेद सिंह गुसांई, तीरथ सिंह रावत राही, नरेंन्द्र सिंह रावत, सतीश मुडेपी, सतेंन्द्र सिंह नेगी आदि उपस्थित रहे।