चिकित्सा पेशे का उद्देश्य रोग उपचार से परे संवेदनाओं की समझ है : डॉ धन सिंह रावत

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देहरादून।चिकित्सा पेशा मानवता की सेवा का माध्यम है और एक बेहतर चिकित्सक बनने के लिए न केवल शैक्षिक योग्यता, बल्कि सकारात्मक सोच और मरीजों की संवेदनाओं को समझने की क्षमता भी आवश्यक है। यह विचार प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दून मेडिकल कॉलेज में आयोजित ‘चरक शपथ ग्रहण’ समारोह में व्यक्त किए।

डॉ. रावत ने एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि चिकित्सा पेशे का उद्देश्य केवल रोगों का उपचार करना नहीं है, बल्कि मरीजों की भावनाओं और संवेदनाओं को समझते हुए उन्हें राहत प्रदान करना भी है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पेशे में आने वाले छात्रों को यह समझना चाहिए कि उनका कार्य मानवता की सेवा से जुड़ा हुआ है, और चरक शपथ इसका प्रतीक है।

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में सरकार मेडिकल कॉलेजों में ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने और छात्रों को सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इसके तहत मेडिकल कॉलेजों में आधुनिक चिकित्सकीय उपकरणों, पर्याप्त फैकल्टी, पैरामेडिकल स्टाफ और तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति पर जोर दिया जा रहा है।

डॉ. रावत ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि आने वाले दो वर्षों में राज्य के प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में पीजी की 100-100 सीटें स्वीकृत कराई जाएं। इसके लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) को समय-समय पर प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं। साथ ही, शीघ्र ही 53 प्रोफेसर, 103 एसोसिएट प्रोफेसर और 440 असिस्टेंट प्रोफेसरों के रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति की जाएगी। संविदा पर कार्यरत शिक्षकों के वेतनमान में भी बढ़ोतरी की जाएगी ताकि फैकल्टी की कमी को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।

डॉ. रावत ने छात्रों को ‘चरक शपथ’ दिलाई और कहा कि व्हाइट कोट एक चिकित्सक के रूप में उनकी पहचान है। यह कोट उन्हें उनकी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है और यह प्रेरित करता है कि उनके हाथों में किसी के जीवन की रक्षा करने की जिम्मेदारी है। उन्होंने छात्रों को शपथ दिलाई कि वे अपने ज्ञान, क्षमता और संवेदनाओं के साथ मानवता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।

डॉ. रावत ने कार्यक्रम का समापन करते हुए कहा कि चिकित्सा पेशे को चुनने वाले युवाओं को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका पेशा केवल रोजगार नहीं है, बल्कि यह मानव सेवा का सबसे पवित्र कार्य है।

इस अवसर पर हेमवती नंदन बहुगुणा मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एम.एल. ब्रह्म भट्ट, चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना, दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गीता जैन, अपर निदेशक डॉ. आर.एस. बिष्ट, संयुक्त निदेशक डॉ. एम.सी. पंत सहित अन्य विभागीय अधिकारी और एमबीबीएस के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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