देहरादून।पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन (एनएमओपीएस) उत्तराखंड की प्रांतीय कार्यकारिणी ने अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन से मुलाकात की। उन्होंने नई पेंशन योजना (एनपीएस) और यूनिफाईड पेंशन योजना (यूपीएस) की खामियों को उजागर करते हुए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को पुनः लागू करने की माँग की। संगठन ने बताया कि यह आंदोलन कई वर्षों से पूरे देश में चल रहा है, और हिमाचल प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में इसे सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
एनएमओपीएस ने यूपीएस की कमियों पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि इस योजना में कर्मचारियों के वेतन से कटौती की गई 10% राशि वापस नहीं मिलेगी, जो पुरानी पेंशन योजना के तहत GPF में जमा होती थी और सेवानिवृत्ति पर वापस मिलती थी। इसके अलावा, पूरी पेंशन के लिए यूपीएस में 25 वर्षों की सेवा आवश्यक है, जबकि ओपीएस में यह सीमा केवल 20 वर्ष थी। उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों की अधिकतम सेवा अवधि कम होने के कारण यह योजना उनके लिए लाभकारी नहीं है।
एनएमओपीएस ने यह भी बताया कि यूपीएस के तहत राज्य में तीन प्रकार की पेंशन योजनाएँ (एनपीएस, यूपीएस, ओपीएस) लागू होंगी, जिससे कर्मचारियों के बीच असमानता पैदा होगी। साथ ही यूपीएस में ग्रेच्युटी और सेवानिवृत्ति के बाद चिकित्सा सुविधाओं में भारी नुकसान की संभावना जताई गई।
संगठन ने कहा कि एनपीएस और यूपीएस ने पिछले 20 वर्षों में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पर्याप्त पेंशन और लाभ प्रदान करने में असफलता दिखाई है। उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि ओपीएस कार्मिकों के भविष्य को सुरक्षित करती है। देश के कई राज्यों में एनएमओपीएस के आंदोलन के बाद पुरानी पेंशन बहाल की जा चुकी है, और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में सभी कर्मचारी अब ओपीएस का लाभ ले रहे हैं।
वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष जीत मणी पैन्युली, महामंत्री मुकेश रतूड़ी, शांतनु शर्मा सूर्य सिंह पवार पुष्कर राज बहुगुणा सुनील गोसाई महिला प्रदेश अध्यक्ष उर्मिला द्विवेदी, उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष इं. एस.एस. चौहान, उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर संघ सिंचाई विभाग के प्रदेश अध्यक्ष इं. अनिल पंवार,दिनेश सिंह, शरद टम्टा, अनीता भंडारी, हर्षवर्धन जमलोकी आदि उपस्थित रहे।