देहरादून, 19 दिसंबर 2024: उत्तराखंड पशुचिकित्सा परिषद के सहस्त्रधारा रोड स्थित प्रशिक्षण केंद्र में नवनियुक्त पशुचिकित्सा अधिकारियों के द्वितीय बैच के तीन दिवसीय प्रारंभिक और अभिमुखीकरण प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन अपर निदेशक पशुधन विकास डॉ. भूपेंद्र सिंह जंगपांगी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
उद्घाटन समारोह में डॉ. कैलाश उनियाल (अध्यक्ष, उत्तराखंड पशुचिकित्सा परिषद), डॉ. नारायण सिंह नेगी (अध्यक्ष, उत्तराखंड पशुचिकित्सक सेवा संघ), और डॉ. प्रलयंकर नाथ (रजिस्ट्रार, उत्तराखंड राज्य पशुचिकित्सा परिषद) ने प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत किया। उन्होंने सभी अधिकारियों को उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति प्रेरित किया।
डॉ. भूपेंद्र सिंह जंगपांगी ने प्रशिक्षणार्थियों को अपने कार्यक्षेत्र में पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करने की प्रेरणा दी। उन्होंने पशुचिकित्सालय प्रशासन और प्रबंधन से जुड़ी प्रक्रियाओं पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
डॉ. अमित राय, उप निदेशक, ने विभागीय संगठनात्मक ढांचा और संरचना के संबंध में जानकारी दी। वहीं, डॉ. बृजेश रावत, वरिष्ठ पशुचिकित्साधिकारी, ने ऑनलाइन रिपोर्टिंग, एमआईएस, और अपुणि सरकार पोर्टल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की कार्यप्रणाली और उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
डॉ. सतीश जोशी, संयुक्त निदेशक, ने मासिक प्रगति रिपोर्ट की प्रक्रिया और उसके महत्व को रेखांकित किया। साथ ही, डॉ. आर.एस. नेगी, मुख्य अधिशासी अधिकारी, यूएलडीबी, ने पशुपालन विभाग की योजनाओं और उनके लाभार्थियों तक पहुंचाने के तरीकों पर जानकारी साझा की।
डॉ. इमरान अली, पशुचिकित्साधिकारी, ने सीमित संसाधनों के बीच प्रभावी एनेस्थीसिया प्रबंधन और संभावित जटिलताओं के समाधान पर व्याख्यान दिया। यह व्याख्यान फील्ड में काम आने वाले व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित था।
प्रशिक्षण सत्र का संचालन कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. शिखाकृति नेगी द्वारा किया गया। इस बैच में मुख्य रूप से पिथौरागढ़, पौड़ी, उत्तरकाशी, और रुद्रप्रयाग के नवनियुक्त पशुचिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया।
उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड से डॉ. पूर्णिमा बनौला, डॉ. मनीष, और डॉ. दीक्षा रावत ने भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। प्रशिक्षण के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के महत्व और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन पर विशेष ध्यान दिया गया।
यह तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम नवनियुक्त पशुचिकित्सा अधिकारियों को उनके कार्यक्षेत्र में दक्ष बनाने और उन्हें प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में मदद मिलेगी।