अल्मोड़ा । रीठागाड़ क्षेत्र में स्थित कनारीछीना प्राथमिक अस्पताल भवन तीन साल बाद भी बजट के अभाव में अधर में लटका हुआ है। 2018 और 2020 में क्षेत्रीय जनता व रीठागाड़ दगड़ियों संघर्ष समिति ने इस अस्पताल भवन के निर्माण के लिए कई बार प्रशासन से गुहार लगाई। यहां तक कि सड़क जाम जैसे विरोध प्रदर्शन भी किए। इन आंदोलनों के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने हस्तक्षेप कर क्षेत्रीय जनता को आश्वासन दिया, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
2021 में भाजपा के विधायक रघुनाथ ने इस अस्पताल भवन के लिए दो करोड़ सोलह लाख रुपये की स्वीकृति की घोषणा की थी। यह घोषणा सुनकर रीठागाड़ क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ी थी। लेकिन तीन साल बीतने के बावजूद अस्पताल भवन निर्माण के लिए बजट की कोई चर्चा नहीं हुई। इसका परिणाम यह है कि क्षेत्र के आयुर्वेदिक और एलोपैथिक डॉक्टर तथा फार्मासिस्ट अभी भी धौलछीना अस्पताल में संलग्न हैं।
अस्पताल भवन न होने से क्षेत्रीय जनता को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों को अपनी बीमारियों के उपचार के लिए 15-20 किलोमीटर दूर सेराघाट या धौलछीना अस्पताल जाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद भी इस क्षेत्र में सड़कें तो दूर, पैदल चलने लायक रास्ते भी नहीं हैं।
सरकार की ओर से स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता देने के दावों के बावजूद, कनारीछीना प्राथमिक अस्पताल भवन के निर्माण के लिए बजट का इंतजार जारी है।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह नेगी ने बताया कि इस अस्पताल भवन के बनने से क्षेत्र की 6-7 ग्राम पंचायतों के हजारों ग्रामीणों को सीधा लाभ मिलेगा। लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण यह महत्वपूर्ण परियोजना अभी भी अधर में है।