देहरादून ।जिलाधिकारी डाॅं0 आशीष कुमार श्रीवास्तव ने जिला बाल कल्याण समिति की बैठक में कलेक्टेªट सभागार में समिति के सदस्यों को निर्देशित किया कि जनपद में भिक्षावृत्ति पर गंभीरता से और सख्ती से रोक लागाई जाय इसके लिए भिक्षावृत्ति कराने वाले अभिभावकों को पहली बार बच्चों से भिक्षावृत्ति ना करवाने की काउन्सिलिंग करवाये और ऐसा ना करने को उन्हे समझायें। इसके बावजूद भी ना मानने पर सीधे प्राथमिकी (एफ.आई.आर)दर्ज करवायें। इसके अतिरिक्त ऐसे असामाजिक तत्वों और गिरोह की भी पहचान करें जो बच्चों की तस्करी व किडनैपिंग कर उनसे भिक्षावृत्ति करवातें हैं उनकी कोई भी सूचना मिलने पर तत्काल पुलिस सूचित कर ऐसे गिरोह का पर्दाफाश करें। उन्होंने किसी भी तरह के बाल अपराध की रोकथाम करने में समिति के सदस्यों को निर्देश दिये।
जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी जगह से रेस्क्यू किये गये बच्चों को सीधे बाल संरक्षण केन्द्र में ना लें जायें बल्कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए उनके लिए बनाये गये पृथक क्वारेंटीन केन्द्र पर मानक के अनुसार पूरा समय बिताने और टेस्टिंग-स्वास्थ्य चैकअप में स्वस्थ पाये जाने पर ही उन्हें बाल संरक्षण गृह/केन्द्रों में अन्य बच्चों के साथ रखें, जिससे कोरोना फैलने का कोई भी अंदेशा ना रहे। उन्होंने कहा कि बाल बृह में बालकों को प्रवेश कराते समय आयु का विशेष ध्यान रखें तथा जिन बालक की आयु 10 वर्ष से अधिक हो उन्हे पृथक अथवा हरिद्वार स्थित बालक सरंक्षण गृह में ले जाये।
जिलाधिकारी ने कहा कि बाल सरंक्षण गृह में बच्चों की पढाई का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाय, साथ ही उनको बेहतर भोजन, मनोरंजन, साफ-सफाई इत्यादि भी मानक अनुसार और बेहतर तरीक से प्रदान किया जाय। उन्होंने जनपद में विभिन्न स्थानों पर स्थित सरकारी/स्वैच्छिक संगठनों द्वारा संचालित किये जा रहे आवासीय सुविधाओं वाले बाल गृहों की भी नियमानुसार व नियमित निगरानी व निरीक्षण करने के निर्देश देते हुए कहा कि निरीक्षण के दौरान देखें कि बच्चों को वहां पर मानक के अनुसार सभी तरह की सुविधाएं यथा खानपान, रहन-सहन, मनोरंजन, सैनिटेशन के साथ ही सुरक्षित और अंहिसामुक्त वातावरण प्रदान किया जाय। समिति के सदस्यों ने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि प्रर्वतकता स्पाॅन्सरशिप योजना जिसके तहत् 2000 रू0 मासिक की कम आमदनी वाले अभिभावक के बच्चों की शिक्षा व पोषण के लिए प्रत्येक माह 2000 रू0 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, किन्तु तहसील स्तर पर उनकी 2000 रू0 की आय वाला प्रमाण-पत्र बनवाने में दिक्कत आ रही हैं, जिससे ऐसे लोगों को योजना का लाभ नही मिल पा रहा है। इस पर जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि ऐसे बच्चों की सहायता के लिए एक समिति का गठन किया जाय, जिसमें ब्ब के सदस्यों के साथ ही तहसील सदर पर तहसीलदार -पटवारी को भी सदस्य बनाकर ऐसे अत्यन्त लाचार बच्चों की सहायता के लिए जो भी वस्तुस्थिति अनुसार पाया जायेगा ऐसी समिति मासिक आय की रिपोर्ट का मूल्यांकन करेगी, जिस आधार पर आय प्रमाण पत्र दिया जा सकेगा।
इस दौरान बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि उन्होंने 3 माह में नियमानुसार जनपद में संचालित बाल गृहों का 6 बार (अपैल से जून तक ) निरीक्षण किया है तथा गत तीन माह में बाल कल्याण समिति के समक्ष कुल 6 प्रकरण प्रस्तुत हुए जिनमें से सभी का समिति के द्वारा निस्तारण किया गया।
बैठक में जिला प्राबेशन अधिकारी मीना बिष्ट तथा जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य सुधीर भट्ट, विमला देवी और इन्द्रजय असवाल उपस्थित थे।