देहरादून। वन संरक्षण प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून द्वारा वन रोगों व कीटों के एकीकृत प्रबंधन पर एक वेबिनार आयोजित किया गया। वेबिनार में कई वैज्ञानिकों, वन अधिकारियों, कागज और जैव नियंत्रण उद्योगांे के प्रतिष्ठित पदाधिकरियों ने भाग लिया।
महानिदेशक, आई.सी.एफ.आर.ई. अरूण सिंह रावत ने 27 कीटनाशकों पर लगे हालिया प्रतिबंध के मद्देनजर रोग और कीट प्रबंधन के वैकल्पिक तरीकों के प्रयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रो. के. पी. सिंह जी.बी.पी.यू.ए.टी., पन्तनगर ने रोग पूर्वानुमान सबंधित शाोध कार्य का विवरण दिया और इस विघा का उपयोग कर कीटनाशकों के उपयोग को कम करने पर बल दिया। डा. विजय वीर, पूर्व निदेशक, डी.आर.डी.ओ. ने प्रबंधन हेतु कीटों को आकृृष्ट करने वाले रसायन के उपयोग करने की सलाह दी। डा. राजीव मिश्रा, वन संरक्षक, प्रयागराज ने शीशम पेडों की अत्याधिक संख्या में सूखने को प्रकाशित करते हुए विभिन्न कारकों पर शोध की आवश्यकता पर बल दिया। डा. आर.सी. धीमान, पूर्व प्रमुख वीमको सीडलिंग, ने हाल में पोपलर पर देखे गए कई रोगों व कीटों पर सबका ध्यान आकृृष्ट किया और पोपलर उत्पादक सचिन त्यागी द्वारा बताई गई इस पेड़ में आ रही गंभीर समस्याओं का निराकरण किया। जे. के. पेपर मिल्स का प्रतिनिधित्व कर रहे डा. सुधीर कुमार शर्मा ने केसुराईना के सूखा रोग के कारण उत्पाद की घटती कीमत पर चिंता व्यक्त की। टी स्टेन्स कंपनी के उपाध्यक्ष डा. एस.मरीमुथू ने विभिन्न जैव नियंत्रकों और जैव उर्वरकों को रोग नियंत्रण में एक अच्छा विकल्प बताया व इसे उपयोग में लाने का आग्रह किया। के. देवराजन, अध्यक्ष कोयम्बटूर हर्बल एवं ट्री ग्रोअर, एसोसियेशन ने कोयम्बटूर क्षेत्र में पेश आ रही व्यावसायिक वनों की स्वास्थ समस्यों का उल्लेख किया।
इन समस्याओं के निराकरण हेतु डा. एन.एस.के. हर्ष और डा. आर. के. ठाकुर ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। विभिन्न आई.सी.एफ.आर.ई के वैज्ञानिकों डा. जेकब, डा. कार्तिकेन व डा. राजेश कुमार ने अपने दिलचस्प शोध कार्यो का प्रर्दशन किया। यह वेबिनार धन्यवाद प्रस्ताव के साथ संपन्न हुआ।