आजाद हिंद सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विज़न का प्रतिनिधित्व का दर्शन कराती है:चिदानन्द सरस्वती

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ऋषिकेश। आजाद हिंद सरकार के स्थापना दिवस की 78 वीं वर्षगांठ के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आजाद हिंद सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विज़न का प्रतिनिधित्व का दर्शन कराती है। उनका विज़न; उनकी दृष्टि अद्भुत थी, 1943 में 21 अक्टूबर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिंद फौज के कमांडर के रूप में भारत की अस्थायी सरकार बनाई थी। आजाद हिन्द सरकार की आजाद हिंद फौज ने बर्मा की सीमा पर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ा था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज में भर्ती होने वाले नौजवानों को ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’’ का नारा देकर एक नई ऊर्जा का संचार किया था।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नेताजी द्वारा बनाई गई आजाद हिन्द फौज एक ऐतिहासिक फौज थी, विश्व के इतिहास में शायद ही ऐसी कोई फौज होगी जिसमें करीब 30-35 हजार युद्धबन्दियों ने एक साथ मिलकर अपने देश की आजादी के लिए ऐतिहासिक संघर्ष किया हो। नेताजी के नेतृत्व में आज़ाद हिन्द फौज ने आज से 78 वर्ष पूर्व इस अद्भुत सेवा कार्य को किया था।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी का मानना था कि अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र करने के लिए राजनैतिक गतिविधियों के साथ सैन्य सहयोग भी अत्यंत आवश्यक है। स्वामी जी ने कहा कि नेताजी ने दिये नारे ‘तुम मुझे खून दो’ की गूंज आज भी हर एक की जुबां पर है। यह नारा आज भी युवाओं को आत्मविश्वास और शक्ति प्रदान करता है।
जिस तरह देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने हेतु आजाद हिंद फौज की कमान नेताजी ने संभाली थी, उसी प्रकार आज भी हमारे राष्ट्र को ऐसे ऊर्जावान युवाओं की आवश्यकता है, जिनके अन्दर राष्ट्र भक्ति का दीप जले; ‘‘राष्ट्र पहले’’ की भावना जाग्रत हो। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि भारत के महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने हमारी मातृभूमि को आज़ाद कराने के लिये जो किया उसे कभी भी भुलाया नहीं सकता, उससे आज भी शिक्षा ली जा सकती है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि विलक्षण प्रतिभा के धनी नेताजी की मौत का रहस्य आज भी बना हुआ है, देशवासी अपने प्रिय राष्ट्रभक्त के साथ न्याय होते देखना चाहते हैं, अब यह लम्बा इंतजार समाप्त होना चाहिये और उनकी मौत के रहस्य से पर्दा उठना ही चाहिये। उन्होंने हमेशा से ही सत्यम् शिवम्, सुन्दरम् के आदर्शो में लीन रहकर जीवन जिया, आज हम सब भारतवासियों का कर्तव्य है कि उनके पद चिन्हों पर चलते हुये राष्ट्र निर्माण हेतु अपनी सशक्त भूमिका निभायें। हम सदैव एक बात याद रखें ‘‘राष्ट्र है तो हम हैं।’’

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