श्री एम. वेंकैया नायडु जी के संक्षिप्त वाक्य भी हाजिरजवाबी भरे होते हैं:प्रधानमंत्री

Spread the love

नई दिल्ली।पीआईबी।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राज्यसभा में उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु की विदाई में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने उप-राष्ट्रपति, जो उच्च सदन के पदेन सभापति हैं, को भावभीनी विदाई दी।

प्रधानमंत्री ने ऐसे कई क्षणों को याद किया जो श्री नायडु की बुद्धिमता और सूझबूझ से परिपूर्ण थे। नए भारत में नेतृत्व के मिजाज में बदलाव के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “इस बार 15 अगस्त को हम एक ऐसा स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे, जिसमें देश के राष्‍ट्रपति, उपराष्‍ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री सभी का जन्म आजादी के बाद हुआ है और वे सभी बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं।” उन्होंने कहा कि इसका अपना एक सांकेतिक महत्व है। साथ में, देश के एक नए युग का एक प्रतीक भी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आप तो देश के एक ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जिसने अपनी सभी भूमिकाओं में हमेशा युवाओं के लिए काम किया है। आपने सदन में भी हमेशा युवा सांसदों को आगे बढ़ाया, उन्‍हें प्रोत्‍साहन दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “उपराष्ट्रपति के रूप में, आपने युवा कल्याण के लिए काफी समय दिया। आपके बहुत से कार्यक्रम युवा शक्ति पर केंद्रित थे।” प्रधानमंत्री ने कहा कि उपराष्ट्रपति के रूप में आपने सदन के बाहर जो भाषण दिए, उनमें करीब-करीब 25 प्रतिशत भारत के युवाओं के बारे में रहे।

प्रधानमंत्री ने विभिन्न पदों पर श्री एम. वेंकैया नायडु के साथ अपने घनिष्ठ संबंध को रेखांकित किया। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ता के रूप में उपराष्ट्रपति की वैचारिक प्रतिबद्धता, विधायक के रूप में कार्य, सांसद के रूप में गतिविधियों का स्तर, भाजपा के अध्यक्ष के रूप में संगठनात्मक कौशल, मंत्री के रूप में उनकी कड़ी मेहनत और कूटनीति व उपराष्ट्रपति और सदन के अध्यक्ष के रूप में उनके समर्पण व गरिमा की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा, “मैंने वर्षों से श्री एम. वेंकैया नायडु जी के साथ मिलकर काम किया है। मैंने उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी देखा है और उन्होंने उनमें से प्रत्येक को बड़ी निष्ठा के साथ निभाया है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में लोग श्री एम. वेंकैया नायडु से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने उपराष्ट्रपति की बुद्धिमत्ता और उनके शब्दों की शक्ति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “आपके प्रत्येक शब्द को ध्यान से सुना गया, पसंद किया गया, और उसे गंभीरता से लिया गया… और कभी भी उसका विरोध नहीं किया गया।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “श्री एम. वेंकैया नायडू जी संक्षिप्त वाक्य कहने के लिए प्रसिद्ध हैं। वे हाजिरजवाबी भी हैं। भाषाओं पर उनकी हमेशा पकड़ रही है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन और सदन के बाहर दोनों जगह, उपराष्ट्रपति के व्यापक अभिव्यक्ति के कौशल ने बहुत प्रभावित किया है। उन्होंने कहा, “श्री एम. वेंकैया नायडु जी की बातों में गहराई होती है, गंभीरता भी होती है। उनकी वाणी में विज भी होता है और वेट भी होता है। वार्म्थ भी होता है और विज्डम भी होता है।”

दक्षिण भारत में, जहां उनकी चुनी हुई विचारधारा की तत्काल कोई संभावना नहीं थी, श्री एम. वेंकैया नायडु के राजनीतिक जीवन की साधारण रूप में शुरुआत के बारे में बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उपराष्ट्रपति की राजनीतिक कार्यकर्ता से पार्टी के अध्यक्ष तक की यात्रा उनकी एक अविरत विचारनिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा और कर्म के प्रति समर्पण भाव का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आपने यह साबित किया है कि अगर हमारे भीतर देश के लिए भावनाएं हों, अपनी बातों को कहने की कला हो, भाषायी विविधता में विश्वास हो तो भाषा व क्षेत्र कभी भी आड़े नहीं आते हैं।” प्रधानमंत्री ने उपराष्ट्रपति के मातृभाषा के प्रति प्रेम के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा, “वेंकैया जी के बारे में एक सराहनीय बात  उनका भारतीय भाषाओं के प्रति जुनून है। यह इस बात से परिलक्षित होता था कि उन्होंने सदन की अध्यक्षता कैसे की। उन्होंने राज्यसभा के कामकाज को बढ़ाने में योगदान दिया।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि उपराष्ट्रपति द्वारा स्थापित प्रणालियों, उनके नेतृत्व ने सदन के कामकाज को नई ऊंचाई दी है। उपराष्ट्रपति के नेतृत्व के वर्षों के दौरान, सदन के कामकाज में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई, सदस्यों की उपस्थिति में वृद्धि हुई, और रिकॉर्ड 177 बिल पारित किए गए या उन पर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री ने कहा, “आपने कितने ही ऐसे निर्णय लिए हैं जो उच्च सदन की प्रगति के लिए याद किए जाएंगे।”

प्रधानमंत्री ने उपराष्ट्रपति द्वारा सदन के विनम्र, बुद्धिमत्तापूर्ण और दृढ़ संचालन की सराहना की और दृढ़ विश्वास कायम रखने के लिए उनकी प्रशंसा की कि एक समय के बाद, सदन में व्यवधान सदन की अवमानना हो जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आपके इन मानकों में लोकतंत्र की परिपक्वता को देखता हूं।” प्रधानमंत्री ने उस संवाद, संपर्क और समन्वय की सराहना की जिसके जरिये श्री नायडु ने कठिन क्षणों में भी सदन को चालू रखा। प्रधानमंत्री ने श्री एम. वेंकैया नायडु के विचार- ‘सरकार को प्रस्ताव रखने दें, विपक्ष को उसका विरोध करने दें और सदन को उसका कामकाज निपटाने दें’ की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस सदन को दूसरे सदन से आए विधेयकों पर निश्चित रूप से सहमति या असहमति का अधिकार है। यह सदन उन्हें पास कर सकता है, रिजेक्ट कर सकता है, या संशोधित कर सकता है। लेकिन उन्हें रोकने की, बाधित करने की परिकल्पना हमारे लोकतंत्र में नहीं है।

प्रधानमंत्री ने सदन व देश के लिए उनके मार्गदर्शन और योगदान के लिए उपराष्ट्रपति को धन्यवाद दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

5जी स्पेक्ट्रम नीलामी की सफलता सरकार की नीतियों में उद्योग का विश्वास मत है:संचार राज्‍य मंत्री

Spread the love नई दिल्ली।पीआईबी।भारतीय दूरसंचार नेटवर्क आज सबसे अधिक लागत प्रभावी दरों के साथ विश्‍व का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। यह विकास मोदी सरकार की बाजार अनुकूल नीतियों से प्रेरित है। यह बात केन्‍द्रीय संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान ने भारत में दूरसंचार क्षेत्र की प्रगति की […]

Notice: ob_end_flush(): failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/devbhoom/public_html/wp-includes/functions.php on line 5279

Notice: ob_end_flush(): failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/devbhoom/public_html/wp-includes/functions.php on line 5279