नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी( बीएचयू) और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के नाम बदलने का सरकार का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।
इस मामले में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सरकार का रुख साफ करते हुए कहा कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाम नहीं बदला जाएगा।
यूजीसी के एक पैनल से सरकार से इन दोनों विश्वविद्यालयों से हिंदू और मुस्लिम शब्द हटाने की सिफारिश की थी। पैनल का कहना था कि बीएचयू और एएमयू के नाम इनके पंथनिरपेक्ष चरित्र को नहीं दिखाते हैं।
पैनल ने यह सिफारिश एएमयू की ऑडिट रिपोर्ट में की है। इसका गठन 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए किया गया था।
पैनल के एक सदस्य ने बताया कि केंद्र सरकार से वित्तपोषित विश्वविद्यालय धर्मनिरपेक्ष संस्थान होते हैं। लेकिन, इन विश्वविद्यालयों के नाम के साथ जुड़े धर्म से संबंधित शब्द संस्थान की धर्मनिरपेक्ष छवि को नहीं दर्शाते हैं।
पैनल के सदस्य ने कहा कि इन विश्वविद्यालयों को अलीगढ़ विश्वविद्यालय और बनारस विश्वविद्यालय कहा जा सकता है अथवा इनके नाम इनके संस्थापकों के नाम पर रखे जा सकते हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कथित अनियमितता की शिकायतों की जांच के लिए मानव संसाधन मंत्रालय के निर्देश पर 25 अप्रैल को पांच कमेटियां गठित की थी। इसी में एक ऑडिट पैनल ने अपनी दलील में कहा है कि यूजीसी इन दोनों यूनिवर्सिटीज को ग्रांट देती है, ऐसे में इसकी छवि भी धर्मनिरपेक्षता को दर्शाने वाली होनी चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मानव संसाधन मंत्रालय को 10 यूनिवर्सिटीज में अनियमितताओं से जुड़ी काफी शिकायतें मिल रही थी। इसके मद्देनजर ही इस पैनल को गठित किया गया। हालांकि इसमें बीएचयू का नाम शामिल नहीं है, लेकिन ऑडिट पैनल ने अपनी रिपोर्ट में इसके नाम का भी जिक्र किया है।
एएमयू ऑडिट में कमेटी ने सुझाव दिया कि संस्थान को या तो सिर्फ ‘अलीगढ़ यूनिवर्सिटी’ कहा जाए या फिर इसके संस्थापक, सर सैयद अहमद खान के नाम पर रख दिया जाए। यही वजह बीएचयू का नाम बदलने के लिए भी दी गई।
एएमयू और बीएचयू के अलावा पांडिचेरी यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, झारखंड की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, राजस्थान की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, जम्मू की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, वर्धा का महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, त्रिपुरा की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, मध्यप्रदेश की हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी का भी ‘शैक्षिक, शोध, वित्तीय और मूलभूत संरचना ऑडिट’ कराया गया है।
ऐसे में सरकार ने इस मामले पर अपना रुख साफ करके फिलहाल इसे कुछ वक्त के लिए शांत कर दिया है।
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